महानगरों की तर्ज पर तैयार किए गए प्रस्तावों का दस फीसदी भी पांच साल में पूरा नहीं हो सका। न अस्पताल बना और न चिकित्सा की अत्याधुनिक सुविधाएं मिली। हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां सरकारी अस्पतालों के पैथॉलाजी लैब में जांच की सुविधा तक नहीं है। शहर के जिला अस्पताल में महज सौ बेड हैं। आलम यह है कि कई बार एक-एक बेड पर तीन-तीन मरीज भर्ती करने पड़ते हैं। केवल शहर में हर महीने हजारों की संख्या में लोग बीमार होकर जिला अस्पताल की चौखट पर पहुंचते हैं। यहां मामूली रोगों का इलाज तो हो जाता है मगर जटिल बीमारियों व ऑपरेशन के लिए मरीजों को नेहरू या एनटीपीसी के अस्पताल में रेफर किया जाता है। हाल की में जिला अस्पताल में बहुत कुछ बदला मगर इलाज के लिए जरूरी सुविधाएं मुहैया नहीं हुई।
जिला अस्पताल में स्वास्थ्य केंद्रों का बोझ
जिला अस्पताल में इलाज कराने के लिए मरीजों की लाइनें लगती है। महज 100 बेड वाले जिला अस्पताल में जिले के 20 स्वास्थ्य केन्द्रों का बोझ है। चिकित्सकों की कमीं से जूझ रहे जिला अस्पताल में जान बचाने के लिए दूर दराज से आने वाले मरीज गलियारों में पड़े रहते हैं। अस्पताल के लिए कई योजनाएं बनी, लेकिन कागजों में दम तोड़ गई।
जिला अस्पताल में स्वास्थ्य केंद्रों का बोझ
जिला अस्पताल में इलाज कराने के लिए मरीजों की लाइनें लगती है। महज 100 बेड वाले जिला अस्पताल में जिले के 20 स्वास्थ्य केन्द्रों का बोझ है। चिकित्सकों की कमीं से जूझ रहे जिला अस्पताल में जान बचाने के लिए दूर दराज से आने वाले मरीज गलियारों में पड़े रहते हैं। अस्पताल के लिए कई योजनाएं बनी, लेकिन कागजों में दम तोड़ गई।
मुंह चिढ़ा रहा ट्रामा सेंटर का अधूरा भवन
करीब चार साल से बन रहा बन रहा ट्रामा सेंटर और ब्लड बैंक अभी भी अधूरा पड़ा है। यह अधूरा भवन सरकारी व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रहा है। निर्माणकार्य में इतनी देर हुई कि बजट से निर्माण मुमकिन नहीं रहा। गंभीर रूप से घायलों को वक्त पर इलाज नहीं हो पाता। पांच साल होने को हैं मगर अस्पताल के लिए बनी ब्लड यूनिट की शुरूआत नहीं हो सकी।
करीब चार साल से बन रहा बन रहा ट्रामा सेंटर और ब्लड बैंक अभी भी अधूरा पड़ा है। यह अधूरा भवन सरकारी व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रहा है। निर्माणकार्य में इतनी देर हुई कि बजट से निर्माण मुमकिन नहीं रहा। गंभीर रूप से घायलों को वक्त पर इलाज नहीं हो पाता। पांच साल होने को हैं मगर अस्पताल के लिए बनी ब्लड यूनिट की शुरूआत नहीं हो सकी।
मरीजों को नहीं मिल रही ये सुविधाएं:
– मरीजों को नहीं मिल पा रही एम्बुलेंस की सुविधा
– ट्रामा सेंटर और ब्लड यूनिट की नहीं हो पाई शुरूआत
– हृदय रोग केयर यूनिट की व्यवस्था नहीं
– अल्ट्रा साउंड मशीन नहीं
– जिला अस्पताल का भवन अधूरा
– 200 बेड का जिला अस्पताल में 96 बेड
– मरीजों को नहीं मिल पा रही एम्बुलेंस की सुविधा
– ट्रामा सेंटर और ब्लड यूनिट की नहीं हो पाई शुरूआत
– हृदय रोग केयर यूनिट की व्यवस्था नहीं
– अल्ट्रा साउंड मशीन नहीं
– जिला अस्पताल का भवन अधूरा
– 200 बेड का जिला अस्पताल में 96 बेड
हकीकत बयां करते हैं ये आंकड़े:
– जिला अस्पताल – 01
– पीएचसी – 06
– सीएचसी -14
– महीनेभर में मरीजों की संख्या – 9 हजार
– हर महीने रेफर हो रहे मरीज – 4 हजार
– एनआरसी में बेड की संख्या – 20
– जिला अस्पताल – 01
– पीएचसी – 06
– सीएचसी -14
– महीनेभर में मरीजों की संख्या – 9 हजार
– हर महीने रेफर हो रहे मरीज – 4 हजार
– एनआरसी में बेड की संख्या – 20