पहले देश और फिर बाद में प्रदेश की राजधानी में ऑटो जैसे छोटे सवारी वाहनों का साइड मिरर जब चर्चा में आया तो पत्रिका की ओर से भी यहां पड़ताल की गई। पड़ताल में ज्यादातर ऑटो के साइड मिरर नदारद मिले। जिनमें लगा मिला भी तो वह साइड देखने के बजाए चालक की ओर से चेहरा देखने में प्रयोग होता पाया गया। इस स्थिति पर अभी यहां कोई भी अधिकारी गौर फरमाने की जरूरत नहीं समझ रहा है।
गौरतलब है कि दिल्ली में दुर्घटनाओं के लिए ऑटो में साइड मिरर के नहीं होने को कारण माना गया है। इसके लिए कोर्ट की ओर से आदेश भी जारी किया गया है। दिल्ली में मिरर को लेकर शुरू हुई हलचल का असर प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी दिखा है। वहां भी जिम्मेदार विभागों के अधिकारी सक्रिय हुए हैं, लेकिन यहां किसी पर कोई फर्क नहीं पड़ा है।
ऑटो से दुर्घटना की ज्यादा संभावना
वैसे तो साइड मिरर हर वाहन में आवश्यक करार दिया गया है, लेकिन ऑटो जैसे छोटे वाहनों में साइड मिरर की उपयोगिता अधिक होती है। क्योंकि ऑटो जैसे छोटे वाहनों एक ही जगह पर अचानक से यूटर्न यानी मुड़ जाते हैं। ऐसे में साइड मिरर पीछे से आ रहे वाहनों को देखने में ज्यादा उपयोगी साबित होता है। मिरर नहीं होने से दुर्घटना होने की संभावना ज्यादा रहती है।
ऑटो से दुर्घटना की ज्यादा संभावना
वैसे तो साइड मिरर हर वाहन में आवश्यक करार दिया गया है, लेकिन ऑटो जैसे छोटे वाहनों में साइड मिरर की उपयोगिता अधिक होती है। क्योंकि ऑटो जैसे छोटे वाहनों एक ही जगह पर अचानक से यूटर्न यानी मुड़ जाते हैं। ऐसे में साइड मिरर पीछे से आ रहे वाहनों को देखने में ज्यादा उपयोगी साबित होता है। मिरर नहीं होने से दुर्घटना होने की संभावना ज्यादा रहती है।
यह विभाग हैं जिम्मेदार
साइड मिरर सहित अन्य यातायात नियमों का पालन कराने की जिम्मेदारी तीन विभागों की है। परिवहन विभाग, यातायात और स्थानीय पुलिस के अलावा स्थानीय प्रशासन मामले में हस्तक्षेप पर नियमों का उल्लंघन करने वाले ऑटो चालकों पर कार्रवाई कर सकता है।
साइड मिरर सहित अन्य यातायात नियमों का पालन कराने की जिम्मेदारी तीन विभागों की है। परिवहन विभाग, यातायात और स्थानीय पुलिस के अलावा स्थानीय प्रशासन मामले में हस्तक्षेप पर नियमों का उल्लंघन करने वाले ऑटो चालकों पर कार्रवाई कर सकता है।
दूसरे नियम भी हो रहे दरकिनार
– ऑटो में क्षमता से अधिक सवारी भरना।
– पार्किंग व स्टैंड का प्रयोग नहीं करना।
– चालकों की कोई पहचान नहीं होना।
– ज्यादातर बिना पंजीयन के चल रहे।
– प्रदूषण की जांच भी नहीं चल रही है।
– ऑटो में क्षमता से अधिक सवारी भरना।
– पार्किंग व स्टैंड का प्रयोग नहीं करना।
– चालकों की कोई पहचान नहीं होना।
– ज्यादातर बिना पंजीयन के चल रहे।
– प्रदूषण की जांच भी नहीं चल रही है।