सिंगरौली

महिलाएं ऊषा व प्रत्यूषा को अघ्र्य देकर करेंगी नमन

चार दिवसीय छठ महापर्व शुरू छठ घाटों की साफ-सफाई दुरुस्त व्रती महिलाओं ने लौकी की सब्जी, चने की दाल और चावल व गेंहू के आटे की रोटी खाकर रखा ३६ घंटे का व्रत

सिंगरौलीNov 11, 2018 / 11:52 pm

Anil kumar

Woman will give up Usha and Pratyusha by giving exaggerated naming

सिंगरौली. नहाय-खाय के साथ चार दिन तक चलने वाला छठ महापर्व रविवार से शुरू हो गया। दूसरे दिन यानी सोमवार को खरना का कार्यक्रम रहा। इस दिन व्रती महिलाओं ने ३६ घंटे का निर्जला उपवास रखने का संकल्प लिया। व्रत करने वाली महिलाओं उपवास से पहले परंपरा के अनुसार भोजन किया। घर में ही गेहूं पीसकर आटा तैयार किया। रविवार को व्रत करने वाली महिलाओं ने पवित्रता का संकल्प लिया। पहले दिन यानी रविवार को महिलाओं की ओर से भोजन में लौकी की सब्जी, चने की दाल, चावल व गेहूं के आटे की तैयार रोटी लिया गया।
चार दिनी अनुष्ठान
ज्योतिषाचार्य डॉ एनपी मिश्र के अनुसार छठ महापर्व के चार दिवसीय अनुष्ठान में रविवार को नहाय-खाय पर सिद्धि योग और रविवार का संयोग बन रहा है। शास्त्रों के अनुसार रविवार को नहाय-खाय होने से सूर्य पूजन का महत्व सौ गुना बढ़ गया है। वहीं मंगलवार 13 नवंबर को सायंकालीन अघ्र्य पर अमृत योग व सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग है, जबकि प्रात: कालीन अघ्र्य पर बुधवार की सुबह छत्र योग का संयोग बन रहा है। छठ पर्व मूलत: सूर्य की आराधना का पर्व है, जिसे हिन्दू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। हिन्दू धर्म के देवताओं में सूर्य ऐसे देवता हैं जिन्हें मूर्त रूप में देखा जा सकता है। सूर्य की शक्तियों का मुख्य श्रोत उनकी पत्नी ऊषा और प्रत्यूषा हैं। छठ में सूर्य के साथ-साथ दोनों शक्तियों की संयुक्त आराधना होती है। सुबह में सूर्य की पहली किरण (ऊषा) और सायंकाल में सूर्य की अंतिम किरण (प्रत्यूषा) को अघ्र्य देकर दोनों का नमन किया जाता है।
आरोग्य की प्राप्ति व संतान के लिए व्रत
ज्योतिषी डॉ. एनपी मिश्र के अनुसार सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्य की प्राप्ति, सौभाग्य व संतान के लिए रखा जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार राजा प्रियव्रत ने भी यह व्रत रखा था, उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था। भगवान भास्कर से इस रोग की मुक्ति के लिए उन्होंने छठ व्रत किया था। स्कंद पुराण में प्रतिहार षष्ठी के तौर पर इस व्रत की चर्चा है। वर्षकृत्यम में भी छठ की चर्चा है। छठ महापर्व खासकर शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का पर्व है। वैदिक मान्यता है कि श्रद्धापूर्वक नहाय-खाय से सप्तमी के पारण तक का व्रत रखने वाले भक्तों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है।
घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
इस महापर्व को लेकर शहर के खास घाटों की साफ-सफाई होने लगी है। इधर, बाजारों में भी रौनक बढ़ गई है। फलों की दुकानें सज गई हैं। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पुलिस अधीक्षक रियाज इकबाल मोरवा, नवानगर और विंध्यनगर थाने की पुलिस को तैयार रहने के निर्देश दिए हैं। सुरक्षा के मद्देनजर मोरवा स्थित चटका नाले के पास छठ घाट, अमलेारी के बस स्टैंड के पास के छठ घाट और एनटीपीसी, विंध्यनगर परिसर स्थित आदि छठ घाटों की साफ-सफाई का काम शुरू हो गया है। सबसे ज्यादा भीड़ एनटीपीसी विंध्यनगर, अमलोरी और चटका नाला घाट पर होती है।

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