सिरोही में बीते पखवाड़े 23 मई 2021 की शाम को 7.15 बजे कृष्णगंज की नाकाबंदी तोड़कर तस्कर डोडा-चूरा से भरी गाड़ी सियाकरा की तरफ भगा ले गए। उसके बाद आगे जाकर तस्कर गाड़ी को बालदा के जंगल की तरफ ले गए। उसके पीछे पुलिस की गाड़ी भी थी। इस दौरान लम्बी भाग-दौड़ में पुलिस ने दो फायर भी किए। निशाना भी इतना अचूक था कि सीधे टायर पर ही लगा। एक किलोमीटर तक तस्करों के पीछे पैदल भी दौड़े और फिर घना अंधेरा का फायदा उठाकर आरोपी मौके से भाग गया। यह तथ्य पुलिस की ओर से दर्ज कराई एफआईआर में उल्लेखित है। जबकि एसपी ने सबूत और कहानी ठीक इसके उलट पेश किए। रात 7.15 बजे तक तस्करों की गाड़ी तक पकड़ में नहीं आई थी, डोडा-चूरा की बरामदगी का कोई पता-ठिकाना तक नहीं था। उससे पौन घंटे पहले ही सिरोही एसपी हिम्मत अभिलाष टांक अजब कहानी लेकर सामने आए। एसपी ने 23 मई 2021की शाम 6.33 बजे तक पुलिस प्रेस सिरोही ग्रुप में फोटो सहित प्रेसनोट जारी किया। साथ में डोडा के साथ खड़े पुलिस जवानों का फोटो और उसके बाद खुद का वीडियो भी जारी कर दिया। जिसमें बताया गया कि छह घंटे के संघर्ष के बाद डोडा-चूरा से भरी गाड़ी पकडऩे में सफलता हासिल की है। पर वे ये भूल गए शाम 6.33 बजे तक डोडा से भरी गाड़ी पकड़ से कोसों दूर थी फिर उनके पास गाड़ी पकडऩे से पहले ही डोडा बरामदगी का फोटो और सामग्री कैसे पहुंच गई? या तो उन्होंने झूठ बोला या फिर कोई अलग ही कहानी थी जिसे छिपाने के लिए यह कहानी रचनी पड़ी? एसपी ने डोडा बरामदगी के साथ पुलिस के जवानों का जो फोटो जारी किया है और साथ ही आरोपियों फरार होने की जानकारी दी है। फोटो में साफ नजर आ रहा है कि वह दिन को लिया गया है और उस दिन सूरज की रोशनी भी इतनी तेज थी कि फोटो देखकर कोई कहने की जरूरत ही शेष नहीं रह जाती। फिर पुलिस की एफआईआर 23 मई 2021 में रात में अंधेरे का फायदा उठाकर आरोपी भागने की बात कैसे की गई? पुलिस की एफआईआर देखें तो २३ मई की रात 7.15 बजे सफेद रंग की गाड़ी ने कृष्णगंज के पास नाकाबंदी तोड़कर भाग गई थी। फिर उसी दिन एसपी शाम 6.33 बजे डोडा और गाड़ी कहां से पकड़कर ले आए? जबकि गाड़ी पकड़ में ही नहीं आई थी। इससे साफ जाहिर कि कोई ना कोई झूठ बोल रहा है। ये झूठ क्यों बोल रहा है? इसके लिए क्या-क्या खेल हुआ? या फिर कोई बड़ी गड़बड़ी छिपाने की हड़बड़ी में ऐसी चूक कर गए?
यह था मामला.. पुलिस अधीक्षक हिम्मत अभिलाष टांक ने बीती 23 मई 2021 की शाम 6.33 बजे बताया था कि पुलिस ने फिल्मी स्टाइल से तस्करों का सामना करते हुए जीप और डोडा पकड़ा और आरोपी फरार हो गए। इस दौरान अनादरा थानेदार ने जान बचाने के लिए तस्करों पर दो फायर तक किए। इसके बाद बालदा जोड़ (वेलांगरी) में चालक गाड़ी को वहीं छोड़कर भाग गया। गाड़ी से 349 किलो 400 ग्राम डोडा-पोस्त मिला। टूल बॉक्स में एक माचिस मिली, जिसमें से 2 जिन्दा कारतूस मिले। फॉरच्यूनर गाडी के अन्दर एक छोटी व एक बड़ी नम्बर प्लेट मिली, जिन पर एक ही नम्बर एमएच-11 सीके 3339 लिखा पाया गया।
सवाल जो जवाब मांगते हैं… सिरोही के पुलिस अधीक्षक डोडा-चूरा के मामले में आखिर झूठ क्यों बोल रहे हैं? यदि सच बोल रहे हैं तो क्या पुलिस की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर झूठी है? यदि एफआईआर सही है तो फिर एसपी के झूठ बोलने की वजह क्या है? या फिर मामले की पूरी कहानी ही झूठ के सहारे खड़ी की गई? यदि की गई तो इसके पीछे मंशा क्या थी। इसके पीछे क्या- क्या खेला हुआ? क्या आरोपी को बचाने के लिए ये कहानी एक दिन बाद जाहिर करनी पड़ी? इस सवालों के जवाब भी बाहर आने चाहिए। इस सम्बन्ध में उनसे बातचीत के लिए फोन किए गए लेकिन उन्होंने रिसीव नहीं किए।