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जुटे शहर के लोग, श्रम की बूंदों से चमकी चम्पावती बावड़ी

locationसिरोहीPublished: May 21, 2018 08:30:48 am

Submitted by:

mahesh parbat

राजस्थान पत्रिका के अमृतं जलम् अभियान

sirohi

ऐसे निकाली काई…


सिरोही. राजस्थान पत्रिका के अमृतं जलम् अभियान के तहत रविवार सवेरे रामझरोखा मंदिर स्थित चम्पावती बावड़ी द्वितीय चरण की सफाई से चमक गई। साढ़े छह बजे से ही बावड़ी के पास श्रमदानियों का तांता लग गया। फावड़ा, कांटा और तगारी के साथ श्रम की बूंदें टपकी तो कंचन पानी झलक उठा।
जल संरक्षण के भगीरथी अभियान में आदर्श चेरिटेबल फाउंडेशन के पदाधिकारी व युवा शामिल हुए तो आसपास के बुजुर्गों ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। लोगों ने सामूहिक रूप से दायित्व का निर्वहन का संकल्प लिया। सभी ने कहा-जल है तो कल है। बावड़ी से बड़ी मात्रा में पीओपी की प्रतिमा, काई, शराब की बोतलें पूजा सामग्री बाहर निकाली गई। नगर परिषद की टीम ने टैम्पो से कचरे का निस्तारण किया। फाउण्डेशन के संरक्षक मुकेश मोदी, प्रवीण कंसारा, विक्रमपालसिंह, भाजयुमो जिलाध्यक्ष हेमंत पुरोहित, लायंस क्लब अध्यक्ष प्रकाश प्रजापति, गुरुकुलम के कैलाश जोशी, अशोक पुरोहित, नगर परिषद उप सभापति धनपतसिंह राठौड़, राजेन्द्रसिंह नरूका, कमलेश खत्री, छगन प्रजापत, नगर परिषद की जग्गु जमादार आदि मौजूद थे।
जल स्रोतों में नहीं डालें कचरा-मोदी
फाउण्डेशन के संरक्षक मुकेश मोदी ने शहर के लोगों से अपील की है कि जलस्रोतों को कचरा पात्र नहीं बनाएं। पूजन सामग्री व घर का कचरा बावड़ी और तालाबों में नहीं डालें। विसर्जित प्रतिमाएं गलती नहीं हैं। बावड़ी तथा
तालाब धार्मिक स्थान हैं। इनका सम्मान करें।
पेयजल के काम आता था
लोगों ने बताया कि इस बावड़ी का पानी कंचन था। पहले समय में आसपास खेत और बस्ती में लोगों की प्यास बुझती थी लेकिन अब इसकी सार संभाल व उपयोग नहीं होने के कारण दुर्दशा का शिकार हो रही है। प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा ने ऐतिहासिक बावड़ी के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया। इसे बचाना चाहिए।
गाय का शिलालेख
बावड़ी के अंदर गाय का शिलालेख लगा है। इसमें कामधेनु के चित्रण के साथ चन्द्रमा तथा सूर्य देव को भी दिखाया है। इस पर बावड़ी का इतिहास भी लिखा है।
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