अप्रार्थी ने उत्पाद की कीमत 66 रुपए बताकर उसमें से 5 प्रतिशत कम करते हुए 62 रुपए में उसे उत्पाद दिया तथा इसके बदले उसे बिल भी दिया गया। परिवादी वह उत्पाद एवं बिल को लेकर घर चला गया, लेकिन घर जाकर उत्पाद को उपयोग करने से पहले देखा तो उस पर प्रिंट रेट 63 रुपए ही दर्ज थी। ऐसी स्थिति में अप्रार्थी को 63 रुपए प्रिंट रेट में से 5 प्रतिशत की छूट देकर उक्त उत्पाद परिवादी को विक्रय करना चाहिए था, लेकिन अप्रार्थी ने ऐसा नहीं किया। इसके बाद परिवादी 26 सितम्बर 2017 को अपने मित्र व रिश्तेदार को साथ लेकर प्रतिष्ठान पर गया तथा इसकी शिकायत की तो अप्रार्थी ने गलती स्वीकार करते हुए एक दो दिन बाद आने का कहा। इसके बाद परिवादी लगातार अप्रार्थी के प्रतिष्ठान के चक्कर काटता रहा, लेकिन अप्रार्थी ने कोई सुनवाई नहीं की तथा अभद्र व्यवहार करते हुए यहां तक कह दिया कि प्रिंट रेट कुछ भी हो हम हमारी मर्जी से राशि प्राप्त करेंगे, दुकान हमारी है। ऐसा कहते हुए उसने अधिक वसूली गई राशि देने से साफ मना कर दिया।
अप्रार्थी तामिल व सूचना के बावजूद उपस्थित नहीं हुआ और न ही अप्रार्थी की तरफ से कोई जवाब प्रस्तुत किया गया। उपभोक्ता मंच के अध्यक्ष ईश्वर जयपाल एवं सदस्य बलवीर खुड़खुडि़या व राजलक्ष्मी आचार्य ने अप्रार्थी को सेवा का दोषी मानते हुए आदेश दिए कि अप्रार्थी, परिवादी को अधिक वसूली गई राशि ३ रुपए प्रदान करे। साथ ही मानसिक परेशानी के ५ हजार व परिवाद व्यय के ५ हजार रुपए अदा करने के आदेश दिए।
अप्रार्थी तामिल व सूचना के बावजूद उपस्थित नहीं हुआ और न ही अप्रार्थी की तरफ से कोई जवाब प्रस्तुत किया गया। उपभोक्ता मंच के अध्यक्ष ईश्वर जयपाल एवं सदस्य बलवीर खुड़खुडि़या व राजलक्ष्मी आचार्य ने अप्रार्थी को सेवा का दोषी मानते हुए आदेश दिए कि अप्रार्थी, परिवादी को अधिक वसूली गई राशि ३ रुपए प्रदान करे। साथ ही मानसिक परेशानी के ५ हजार व परिवाद व्यय के ५ हजार रुपए अदा करने के आदेश दिए।