शनि 21 को करेंगे वृश्चिक राशि में विचरण
सिरोहीPublished: Jun 19, 2017 09:46:00 am
न्याय के देवता 4 माह 5 दिन तक रहेंगे वक्री
शनि वक्री होकर बुधवार सवेरे साढ़े पांच बजे धनु राशि से वृश्चिक में प्रवेश करेंगे।
आमतौर पर ग्रहों का स्थान परिवर्तन खगोलीय घटना मात्र है, लेकिन कुंडली की दृष्टि से देखें तो लोगों के लिए ग्रहों का स्थान परिवर्तन काफी महत्व रखता है। गुरु के मार्गी होने के बाद अब 21 जून को एक अन्य महत्वपूर्ण ग्रह शनि वक्र गति से वृश्चिक में प्रवेश करेंगे जो 26 अक्टूबर को शाम 3 बजे तक रहेंगे। इसके साथ शनि का नक्षत्र परिवर्तन भी होगा। शनि वक्री गति से मूल नक्षत्र को छोड़कर ज्येष्ठा में प्रवेश करेंगे। ज्येष्ठा नक्षत्र में जब शनि आते हैं तो उच्च वर्ग के जातकों को कष्ट पहुंचाते हैं।
यह होगा बदलाव
वर्ष समाप्ति तक वृश्चिक, धनु, मकर राशि के जातकों को साढ़े साती और वृष, कन्या के ढैया रहेगा। ग्रहों के स्थान परिवर्तन से इतना प्रभाव नहीं पड़ता, जितना शनि से लेकिन शनि का वक्री होना भी हर राशि के लिए अशुभ नहीं होता है। यदि जातक की कुंडली में शनि वक्री है और शनि की दृष्टि तीसरे, सातवें और दसवें स्थान पर पड़ रही है तो उसके लिए शुभ रहेगा और पत्री में शनि वक्री नहीं है और शनि की दृष्टि तीसरे, सातवें, दसवें स्थान पर पड़ रही है तो ऐसे जातकों को अशुभकारी है।
राशिगत प्रभाव
मेष: स्वर्ण पाया आने पर समस्या, चिंताकारक।
तुला: जातकों के ताम्र पाया आने पर कष्ट, लक्ष्मीदायक रहेगा।
वृश्चिक: स्वर्ण पाया आने पर कष्ट, चिंता कारक।
धनु: चांदी के पाया आने पर कष्ट, धनदायक।
सिंह: चांदी पाया आने पर कष्ट, धनदायक।
वृषभ, मिथुन, कर्क, कन्या, मकर, कुंभ तथा मीन राशि वाले जातकों के लिए मिश्रित फलदायी रहेगा।
गेस्ट राइटर -प्रदीप दवे ज्योतिषाचार्य व वास्तुविद