scriptबाइक चोरों के लिए जन्नत बना गुजरात बॉर्डर टाउन आबूरोड | Gujarat border town Abu Road became a paradise for bike thieves | Patrika News

बाइक चोरों के लिए जन्नत बना गुजरात बॉर्डर टाउन आबूरोड

locationसिरोहीPublished: Jul 05, 2022 03:03:14 pm

मकानों, दुकानों व मंदिरों में सेंधमारी की घटनाओं की तुलना में वाहन चोरी की वारदातें ज्यादा हो रही हैं

सिरोही. चोरी की बाईक के साथ पुलिस गिरफ्त में बाईक चोर (फाईल फोटो)

सिरोही. चोरी की बाईक के साथ पुलिस गिरफ्त में बाईक चोर (फाईल फोटो)

अमरसिंह राव

सिरोही. क्राइम के इतिहास में ‘चोरी’ शब्द नया नहीं है। सिरोही जिले के क्राइम के आंकड़ों का विश्लेषण किया जाए तो आपको जानकर ताज्जुब होगा कि पिछले करीब एक दशक से मकानों, दुकानों व मंदिरों में सेंधमारी की घटनाओं की तुलना में वाहन चोरी की वारदातें ज्यादा हो रही हैं। पुलिस की नाक के नीचे औसतन दिन में एकाध वाहन तो चोरी चला ही जाता है। इनमें अधिकतर बाइक ही होती हैं। गुजरात बॉर्डर से सटा आबूरोड शहर तो मानो बाइक चोरों के लिए जन्नत-सा ही बन गया है। कमाल की बात तो यह है कि आबूरोड में सिटी, सदर, रीको, जीआरपी व आरपीएफ पोस्ट मिलाकर पांच-पांच थाने होने के बावजूद बाइक चोरी के आंकड़े घटने के बजाय दिन-ब-दिन बढ़ते ही जा रहे हैं।
रैकी कर दिन-दहाड़े बाइक उड़ा ले जाने का ट्रेंड

आबूरोड शहर में बाइक चोरी की अधिकतर वारदातें दिन-दहाड़े ही होने का ट्रेंड सामने आया है। सार्वजनिक अवकाश वाले दिन ऐसी वारदातें कम ही होती है। बाइक चोरी की अधिकतर वारदातें भीड़-भाड़ वाली जगहों पर होती हैं। मसलन बस स्टैण्ड, रेलवे स्टेशन, सब्जी मंडी, मुख्य बाजार, बैंकों, होटलों, कॉमर्शियल काम्पलेक्स, मॉल्स आदि के आसपास अक्सर ऐसी वारदातें होती रहती हैं। दिलचस्प बात तो यह है कि इनमें से अधिकतर जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगे होने के बावजूद चोर बाइक लेकर फुर्र हो जाते हैं। रात में जो वारदातें होती हैं उनमें अधिकतर ऐसे बाइक चोरी जाते हैं, जो घर के आगे या पास पार्क किए हुए हो और सिर्फ हैण्डल लॉक किए हुए हो। सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगालने के बावजूद चोर जल्द हाथ नहीं लगते।
आखिरकार चोरी के ये बाइक जाते कहां हैं

आपके जहन में यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिरकार चोरी के ये बाइक जाते कहां है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि शहरी क्षेत्र से उड़ाई जाने वाली अधिकतर बाइक-मोटरसाइकिल ग्रामीण इलाकों में औने-पौने दामों पर बेच दी जाती है। औने-पौने दामों पर इसलिए कि न तो इनकी आरसी बुक होती है और ना ही अन्य वैध दस्तावेज। अक्सर ऐसे वाहन दूर-दराज के गांवों में रहकर खेती-बाड़ी करने वाले या फिर श्रमिक तबके के लोग ही खरीदते हैं, जिनका शहर बहुत कम आना-जाना होता है। करीब 2015-16 में आबूरोड सिटी पुलिस ने वाहन चोरी में लिप्त गैंग के दो गुर्गों को पकड़ा था, जो ठाकोर जाति के व उन्नीस-बीस साल की आयु के युवा थे। आबूरोड तहसील क्षेत्र के ही रहने वाले थे। पुलिस ने जब रिमांड पर लेकर उनसे गहन पूछताछ की थी तो उन्होंने बताया था कि अमूमन आबूरोड सिटी, पड़ोसी राज्य गुजरात के अम्बाजी कस्बे व बनासकांठा जिले के जिला मुख्यालय पालनपुर शहर से बाइक चुराकर आबूरोड तहसील के आदिवासी बहुल इलाकों, गुजरता के साबरकांठा, अरवल्ली व बनासकांठा जिलों के गांवों में श्रमिक वर्ग के लोगों या खेती-बाड़ी करने वाले तबके के लोगों को बेच देते हैं। मसलन चोरी के ये बाइक आसपास में ही घूमते रहते हैं, पर नम्बर प्लेट बदल जाने से इनका पता लगाना मुश्किल हो जाता है। कई बार कुछ लोग इन्हें गैराज वालों को भी बेच देते हैं। वे इन्हें डिस्मेन्टल कर पुर्जे अलग कर लेते हैं और इन पुर्जों को एक-एक कर बेच डालते हैं।
ऐसे कम की जा सकती है वाहन चोरी की आशंका

1. जहां तक सम्भव हो अपनी बाइक या किसी भी प्रकार के टू-व्हीलर को पार्किंग में ही पार्क करने को कोशिश करनी चाहिए।2. हैंडल लॉक के साथ व्हील लॉक होना भी काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।
3. रात में घर के आगे या गली में बाइक पार्क करने की विवशता हो तो इसमें लोहे की चेन लगाकर लॉक लगाया जा सकता है।

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