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एनडीपीएस के मामले में थानेदार की करतूत

locationसिरोहीPublished: Mar 11, 2018 10:05:41 am

Submitted by:

mahesh parbat

थानेदार ने नियत समय तक कोर्ट में चालान पेश नहीं किया। जिससे आरोपित जमानत पर रिहा हो गया। आरोपित के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के दो अलग-अलग प्रकरण दर्ज थे ।

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अफीम व डोडा-पोस्त तस्करी के

सिरोही. अफीम व डोडा-पोस्त तस्करी के आरोपित को बचाने के लिए जिले के एक थानेदार ने नियम-कायदे ताक पर रख दिए। थानेदार ने नियत समय तक कोर्ट में चालान पेश नहीं किया। जिससे आरोपित जमानत पर रिहा हो गया। आरोपित के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत दो अलग-अलग प्रकरण दर्ज थे। अगर थानेदार की ओर से ढिलाई नहीं बरती जाती तो इस स्थिति में आरोपित की जमानत संभव नहीं थी।
दरअसल, बरलूट के तत्कालीन थाना प्रभारी नरसीराम २० अप्रेल २०१६ को मणादर के पास निर्वाणेश्वर महादेव आश्रम के आगे कैलाशनगर की तरफ वाहनों की जांच कर रहे थे। इस दौरान मणादर की ओर से आ रहे बाइक चालक ने पुलिस को देखकर बाइक को वापस घूमा लिया। जिस पर पुलिस टीम ने पीछा किया तो चालक बाइक छोड़कर झाडिय़ों की ओर भाग गया। लेकिन पुलिस ने बाइक की तलाशी ली। जिस पर बाइक में ३१ किलोग्राम डोडा-पोस्त मिला। बाइक के कागजात की जांच करने पर धेतरवालों की ढाणी राबडिय़ा (झंवर) जिला जोधपुर निवासी रमेश कुमार पुत्र करनाराम बिश्नोई की होना सामने आया था। इसी तरह २५ जून २०१६ को ओडा सरहद में अफीम व डोडा-पोस्त की सप्लाईहोने की सूचना पर थाना पुलिस की ओर से एक कुएं पर दबिश दी गई। जहां पर रेन्दड़ी (लूणी) जिला जोधपुर निवासी हुकमाराम पुत्र किशनाराम बिश्नोई की तलाशी ली गई तो एक कट्टे में तीन छोटी थैली मिली। जिसमें एक थैली में २७० ग्राम अफीम का दूध, दूसरी थैली में २५० ग्राम अफीम का दूध एवं तीसरी थैली में ४९० बट्टीनुमा अफीम तथा एक बड़ी थैली में ३ किलो ९०० ग्राम डोडा-पोस्त मिला। आरोपित से पूछताछ में उक्त अफीम व डोडा-पोस्त रमेश कुमार पुत्र करनाराम बिश्नोई की ओर से सप्लाईदेना सामने आया। जिस पर आरोपित रमेश कुमार को प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार किया गया था।
ये दिए तर्क
आरोपित रमेश कुमार की ओर से विशिष्ठ न्यायाधीश स्वापक औषधि एवं मन: प्रभावी पदार्थ मामलात सिरोही न्यायालय में जमानत प्रार्थना पत्र पेश किया गया। जिसमें आरोपित पक्ष की ओर से तर्क दिया गया कि एक प्रकरण में रमेशकुमार को १० दिसम्बर २०१७ को गिरफ्तार किया गया था। लेकिन निर्धारित ६० दिन की अवधि में अनुसंधान पूर्णकर चालान पेश नहीं किया गया है। जबकि, आरोपित अपराध में अधिकतम १० वर्ष तक की सजा का प्रावधान होने से प्रावधानों के तहत जमानत प्राप्त करने का हकदार हो जाता है। विशिष्ठ न्यायाधीश स्वापक औषधि एवं मन: प्रभावी पदार्थ मामलात न्यायालय न्यायाधीश चन्द्रशेखर शर्माने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद आरोपित रमेश कुमार को जमानत पर रिहा करने के आदेश जारी किए।
जांच अधिकारी ने बरती लापरवाही
प्रकरण में तत्पश्चात बरलूट थाना प्रभारी पुलिस उप निरीक्षक बाबूलाल की ओर से अनुसंधान कर कोर्ट में चालान पेश किया गया। एक प्रकरण में आरोपित की गिरफ्ताारी १० दिसम्बर २०१७ को की गई। वहीं दूसरे प्रकरण में गिरफ्तारी १३ दिसम्बर २०१७ को की गई। बरामदशुदा मादक पदार्थ वाणिज्यिक मात्रा का नहीं थे। ऐसे में इन पर एनडीपीएस एक्ट की धारा-३७ के प्रावधान लागू नहीं होते हैं। ऐसे में इन प्रकरणों में चालान ६० दिन में पेश किया जाना था। लेकिन उप निरीक्षक बाबूलाल ने २३ फरवरी २०१८ को कोर्ट में चालान पेश किया।
&प्रकरण में अनुसंधान अधिकारी की लापरवाही सामने आई है। अनुसंधान अधिकारी ने निर्धारित ६० दिन की अवधि में कोर्ट में चालान पेश नहीं किया। जिसका आरोपित को फायदा मिल गया और जमानत मिल गई।
-लक्ष्मणसिंह बाला, विशिष्ठ लोक अभियोजक
चार्जशीट दी…
&अनुसंधान अधिकारी उप निरीक्षक बाबूलाल की एनडीपीएस प्रकरण में कोर्ट में चालान पेश करने में लापरवाही सामने आई है। जिस पर चार्जशीट दी गई है।
ओमप्रकाश, पुलिस अधीक्षक, सिरोही
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