scriptजिसके नाम से कांपता था जर्रा-जर्रा, इंदिरा गांधी भी थी इस डाकू से खौफजद़ा, अब बना संत | Indira Gandhi Afraid of Pancham Singh Dacoit who turned into Monk | Patrika News

जिसके नाम से कांपता था जर्रा-जर्रा, इंदिरा गांधी भी थी इस डाकू से खौफजद़ा, अब बना संत

locationसिरोहीPublished: Sep 27, 2017 03:31:39 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

मुझसे और पिता जी से ग्रामीणों ने मारपीट की तो बदला लेने के लिए खून खौलने लगा और सीधा साधा जवान पंचमसिंह चौहान डाकू बन गया।

Pancham Singh Dacoit

Pancham Singh

सिरोही। मुझसे और पिता जी से ग्रामीणों ने मारपीट की तो बदला लेने के लिए खून खौलने लगा और सीधा साधा जवान पंचमसिंह चौहान डाकू बन गया। डाकू बनते ही पहले ही पहले 12 लोगों को अगवा कर 6 को मौत के घाट उतार दिया। 125 से भी अधिक हत्या के अरोप, 556 डाकूओं के गिरोह का सरदार, दो करोड़ रुपए के इनमी दस्यु का नाम सुनकर उत्तरप्रदेश के 25 जिले, मध्यप्रदेश एवं राजस्था के लोगों में भय था लेकिन अब पंचमसिंह सादा जीवन जी रहे हैं।
अब वह मध्यप्रदेश के ब्रह्माकुमारी संस्था से जुड़कर बच्चों और अपराध करने वालों की भलाई करने वाले सेवक बन गए हैं। 96 वर्षीय पंचम सिंह मंगलवार को सिरोही के ब्रह्माकुमारी आश्रम आए और चैतन्य देवियों की झांकियों देखी।
वे बताते हैं कि चौथी तक पढ़ाई की तथा 14 साल की उम्र में शादी हो गई थी। एक बार पंचायत चुनाव में लोगों ने मारपीट कर घायल कर दिया। इलाज करवा बीस दिन बाद अस्पताल से गांव लौटे तो लोगों ने फिर से पंचम और उनके पिता से मारपीट की। इसके बाद बदला लेने की ठान ली और डकैतों से जाकर मिले।
डकैतों ने पंचम सिंह का साथ दिया और गांव में आ गए। पहली बार छह लोगों की हत्या के बाद पंचमसिंह डकैतों के गैंग में शामिल हो गए और चंबल के बीहड़ों में भाग गए।
इंदिरा ने गिरोह को बम से उड़ाने के दिए थे आदेश
पंचम सिंह ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पत्र लिखकर भी चुनौती दे दी थी। पंचम ने कहा था कि या तो आपकी सरकार बनेगी या मेरी। उसकी यह सुनकर गांधी ने आदेश जारी कर चम्बल में बमबारी कर डाकुओं को सफाया करने को कहा। जंगल में लगातार तीन हैलीकॉप्टर घूमते रहे लेकिन गिरोह के सदस्यों ने किसान का रूप बदलकर काम शुरू कर दिया था। इसके बाद इंदिरा गांधी को मांग पत्र लिखकर समर्पण किया।
सरकार चलाते थे
उन्होंने बताया कि गिरोह का इतना खौफ था कि वे बंदूक की नोक पर सरकार के मंत्री तक बनवा देते थे। इसके अलावा वे खुद मध्यप्रदेश में समानांतर सरकार तक चलाने लगे थे।
टली फांसी की सजा
पंचम पर हत्या के आरोप होने पर न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई थी, सजा के बाद राष्ट्रपति को आवेदन कर उनकी फांसी माफ करवा दी थी।

और बन गए योगी
वे ब्रह्माकुमारी संस्था में आने के बाद लोगोंको काम, क्रोध लोभ तथा मोह से दूर रहने की अलख जगा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इंदिरा गांधी ने संस्था को गिरोह के डाकुओं का मन बदलवाने की चुनौती दी थी। उसके बाद संस्था ने लगातार इनको ध्यान योग की शिक्षा शुरू कर दी। इससे डाकुओं का मन बदल गया और योगी बन गए।

गरीब परिवार की बेटियों की करवाते थे शादी
पंचम ने बताया कि वह 556 डाकुओं के सरदार बने तथा यह सिलसिल 14 साल तक चला। वे किसी निर्दोष को परेशान नहीं करते थे। किसानों के साथ जुल्म करने वाले जमीदारों को लूटते थे। गरीबों की बेटियों की शादी करवाते थे। इकैत जीवन में भी मर्यादा का पालन किया तथा किसी महिला को बुरी नजर से नहीं देखा। एक बार उनका साथी एक किसान की बेटी को जबरन उठा कर लाया तथा लड़की का पिता पंचम के पास जाकर रोया तो उसने साथी से बंदूकर छीनकर पेड़ से बांधकर जिंदा जला दिया था।
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