अचलेश्वर महादेव में होती है अंगूठे की पूजा
माउंट आबू. यंू तो हर सोमवार शिवालयों में भक्तों की विशेष आवाजाही रहती है लेकिन शहर के विभिन्न शिवालयों में समीपवर्ती दर्शनीयस्थल अचलगढ़ के अचलेश्वर महादेव मंदिर में हर दिन श्रद्धालुओं की अलग ही रौनक रहती है।

माउंट आबू. यंू तो हर सोमवार शिवालयों में भक्तों की विशेष आवाजाही रहती है लेकिन शहर के विभिन्न शिवालयों में समीपवर्ती दर्शनीयस्थल अचलगढ़ के अचलेश्वर महादेव मंदिर में हर दिन श्रद्धालुओं की अलग ही रौनक रहती है। बताया जाता है कि ऐतिहासिक स्थल अचलगढ़ में ई. सन ८१३ में अचलेश्वर महादेव का मंदिर निर्मित किया गया। जहां भगवान शिव के अंगूठे की पूजा होती है। इसको लेकर यहां एक किवदंती प्रचलित है कि काशी विश्वनाथ के पैर पसारने पर उनका अगंूठा यहां पहुंचा। जिससे हुए गढ्ढे को ब्रह्मा गढ्ढा कहा जाता है। इसी मान्यता के अनुसार श्रद्धालुओं की आस्था बनी हुई है।
...और भी है यहां आस्थास्थल
यहां कई प्राचीन आस्था स्थल है। जिनमें मंदाकिनी कुंड, भृगु आश्रम, भृतहरि की गुफा, चहुंमुखा आदेश्वर कुंतनाथ, शांतिकुंड, मानसिंह की समाधि, श्रावण-भादों कुंड, राजा गोपीचंद की गुफा समेत कई दर्शनीय पौराणिक व धार्मिक महत्व के स्थल है। जहां भक्त उत्सुकतापूर्वक पाठ, पूजा के कार्यक्रमों को अंजाम देकर अपनी मनोकामना पूर्ण करने की मन्नत मांगते हैं।
ओम् नमो शिवाय: से गंूजेगी वादियां
शिवरात्रि पर्व विधिविधानपूर्वक हर्षोल्लास के साथ सोमवार को मनाया जाएगा। शिवरात्रि पर्व को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह है। शिवालयों की रंगाई-पुताई, साज-सज्जा से लेकर सभी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है।
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