यह है पूरा मामला माउंट आबू में सीवरेज लाइन बिछाने के लिए 2007 से कार्य चल रहा है। इस कार्य के लिए पूर्व में तीन कंपनियां काम छोड़कर भी चली गई। लेकिन एक कंपनी लंबे समय से कार्य कर रही है। इस कार्य के लिए सरकार के करोड़ों रुपए भी खर्च हो चुके है। यह कार्य 2010 में ही पूरा होना था। लेकिन बिना सूझबूझ की वजह से यह कार्य लंबा हो गया। ऐसे में अब सीवरेज लाइन बिछाने वाली कंपनी के लोग भी माउंट आबू नो कंस्ट्रक्शन जोन होने के कारण अनैतिक गतिविधियों में लग गए। जिसका पूर्व में भी कई बार शहर वासी ओर जनप्रतिनिधि भी आरोप तक लगा चुके हैं। इस कार्य के लिए इको सेंसेटिव जोन, एनजीटी व मास्टर प्लान तक के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है।
नियम विरुद्ध ब्लास्ट की अनुमति, कोई रोकने को तैयार नहीं पिछले 3 वर्षों से माउंट आबू में सीवरेज कंपनी द्वारा लगातार ब्लास्ट किए जा रहे है। साथ ही बड़ी-बड़ी चट्टानें तोड़कर पत्थरों की कालाबाजारी की जा रही है। सीवरेज कंपनी के लोग रसूखदार होने के कारण तत्कालीन जिला कलेक्टर से 11 जून 2019 को नियम विरुद्ध कंट्रोल ब्लास्ट की अनुमति प्राप्त कर ली। जबकि तत्कालीन जिला कलेक्टर ने स्थानीय एसडीएम कार्यालय व वन विभाग द्वारा इसकी राय तक नहीं ली गई थी। उसके बाद सिवरेज कंपनी ने शहर में अंधाधुन ब्लास्ट शुरू किए। जिससे कई घटनाएं भी हुई। जब शहर वासियों ने इसका विरोध किया तो वन विभाग के सीसीएफ ने माउंट आबू डीएफओ को पत्र लिखकर अविलंब रुकवाने के निर्देश दिए। उसके बाद माउंट आबू डीएफओ ने 1 फरवरी 2021 को तत्कालीन जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर माउंट आबू में हो रहे ब्लास्ट को रुकवाने का आग्रह किया। लेकिन आज दिन तक इस पर कार्रवाई नहीं हुई।
निर्माण सामग्री की कालाबाजारी के लग रहे है आरोप माउंट आबू में सीवरेज की आड़ में निर्माण सामग्री की कालाबाजारी के लंबे समय से आरोप लग रहे हैं। कई जनप्रतिनिधियों व शहर के नागरिकों ने उच्च अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर आरोप लगाया था। कि कम्पनी के स्थानीय अधिकारी व कर्मचारी ईट, बजरी, पत्थर सहित निर्माण सामग्री के साथ-साथ डीजल तक की कालाबाजारी करते है। साथ ही शहर वासियों द्वारा कई बार अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर लगातार कंपनी द्वारा किए जा रहे अवैध रूप से ब्लास्ट से भवनों को हुए नुकसान की भी जानकारी कई बार दी। बावजूद जिम्मेदार मौन है।
इनका कहना... - सिवरेज कंपनी द्वारा लगातार ब्लास्ट किए जा रहे हैं। इससे कई घरों में दरार भी आ चुकी है। नियम विरुद्ध सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तक का निर्माण कर दिया। अब लोग पलायन को मजबूर है।
महेंद्र दान चार्ली, निवासी माउंट आबू - ब्लास्टिंग को लेकर हमने 1 वर्ष पूर्व जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर ब्लास्ट की अनुमति के मामले में पुनर्विचार करने का आग्रह किया था हालांकि यह मामला विधानसभा में भी उठा था लेकिन यह प्रशासन का विषय है।
विजय शंकर पांडे, डीएफओ - माउंट आबू - कैसे ब्लास्ट की अनुमति दी मुझे जानकारी नहीं है। मैं एक बार फिर से इसे सोमवार को चेक करता हूं। अगर सीवरेज कंपनी नियम विरुद्ध कार्य कर रही है तो एक बार पुनः इस प्रोजेक्ट को चेक किया जाएगा। किसी भी सरकारी कार्य मे धांधली बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
डॉ भंवर लाल, जिला कलेक्टर - सिरोही 
