धमाणी के पास वन विभाग को दी जा सकती है जमीन जमीन के हक को लेकर वन विभाग व धमाणी कॉलोनी के वाशिन्दों के बीच चल रहे विवाद का निराकरण नगर पालिका वन विभाग को अन्यत्र जमीन देकर कर सकती है। गोवा गांव से लेकर जावाई और सालगांव तक खसरा नम्बर-39 की 51 बीघा जमीन पर वन विभाग का अधिकार है। प्रशासन ने इसमें से 4 बीघा भूमि पर धमाणी के वाशिन्दों को बसाया गया था। वन विभाग की जमीन से सटकर ही नगर पालिका की जमीन आई हुई है। अगर वहां 4 बीघा जमीन नगर पालिका की ओर से वन विभाग को दी जाती है तो धमाणी कॉलोनी के वाशिन्दों की समस्या का स्थाई तोड़ निकल सकता है। हालांकि, इसे लेकर अंतिम निर्णय बोर्ड की बैठक में ही किया जाएगा।
इधर कलक्टर ने स्थानीय प्रशासन से तलब की रिपोर्ट हिल स्टेशन माउंट आबू के वाशिन्दों की समस्याओं को 'पत्रिकाÓ की ओर से लगातार उठाए जाने के बाद जिला कलक्टर डॉ. भंवरलाल ने स्थानीय प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है। हाल ही में 'पत्रिकाÓ ने माउंट आबू में शौचालय सहित कई समस्याओं से सम्बंधित मुद्दे प्रमुखता से उठाए थे। कई लोगों के घरों में आजादी के बाद से लेकर अब तक शौचालय का निर्माण ही नहीं हुआ। कई सरकारी योजनाएं भी माउंट आबू में लागू नहीं हो पा रही हैं। जिसको लेकर जिला कलक्टर ने स्थानीय अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की है।
हम कई सालों से यहां रह रहे हैं। हमारे पास सभी सरकारी रेकर्ड भी है। अब हम यहां से कहीं और जाकर नहीं बस सकते। वन विभाग को अन्य जगह जमीन दी जाए।
उदाराम चौधरी, निवासी - धमाणी
उदाराम चौधरी, निवासी - धमाणी
हमें सरकार ने नीम्बू नाले से विस्थापित कर यहां पुनर्वास किया था। न तो हम जबरदस्ती आकर बसे हैं और ना ही अतिक्रमण किया है। हमारा यहां पुनर्वास करने के बाद प्रशासन ने वन विभाग को भूमि आवंटित कर हमारे साथ धोखा किया है। अब इस समस्या का समाधान भी प्रशासन ही करें।
महेन्द्र दान, निवासी - धमाणी
महेन्द्र दान, निवासी - धमाणी
&हमारे साथ लम्बे अर्से से अन्याय हो रहा है। इसको लेकर हमने अधिकारियों व कई मंत्रियों को भी ज्ञापन सौंपे। आज दिन तक समाधान नहीं हुआ। अब हम अन्याय बर्दाश्त नहीं करेंगे।
ताराराम लोहार, निवासी - धमाणी
ताराराम लोहार, निवासी - धमाणी
&हमारी 4 बीघा जमीन पर धमाणी वासियों ने अतिक्रमण कर रखा है। नगर पालिका हमें इसके बदले कहीं पर भी जमीन दे दें तो हमें कोई आपत्ति नहीं है। हम भी चाहते हैं कि कॉलोनीवासी किसी भी सूरत में डिस्टर्ब नहीं हो।
विजयशंकर पांडे, डीएफओ, वन विभाग, माउंट आबू
विजयशंकर पांडे, डीएफओ, वन विभाग, माउंट आबू