महज तेरह साल की उम्र में शुरू किया था योग योग शिक्षक भीकसिंह भाटी बताते हैं की उनका जन्म 21 मई,1947 को हुआ। वे 13 वर्ष की उम्र यानी 1960 में आर्य वीर दल से जुड़े और योग करना शुरू किया। इसके बाद उन्होंने योग को अपने जीवन से कभी दूर नहीं होने दिया। वे निरंतर जीवन में आगे बढ़ते रहे। राजस्थान यूनिवर्सिटी से मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद सरकारी नौकरी में आ गए। वर्ष-2008 में जिला कलक्टर कार्यालय के ऑफिस सुपि्रन्टेन्डेन्ट के पद से सेवानिवृत हुए। इसके बाद उन्होंने योग को अपना जीवन ही बना लिया। उन्होंने योग गुरु बाबा रामदेव से योग शिक्षक की शिक्षा प्राप्त की। वर्ष- 2010 से योग शिक्षक बने। इसके बाद उन्होंने सैकड़ों लोगों को योग से जोड़ा। चाहे सर्दी का मौसम हो या फिर गर्मी या बारिश, वे शहर में नियमित रूप से योग की कक्षाएं निशुल्क ले रहे हैं।
लॉक-डाउन में भी योग का सिलसिला रखा जारी भीकसिंह भाटी बताते हैं कि जब देश में कोरोना महामारी के चलते लॉक-डाउन घोषित किया गया तो उस समय सब कुछ बंद हो गया। यहां तक कि वे जिस पार्क में रोजाना योग कक्षा चलाते थे वह पार्क भी बंद कर दिया गया। इसके बावजूद उन्होंने योग नहीं छोड़ा और अरविन्द पॅवेलियन में जाकर योग करने लगे। उन्हें देखकर उनके कई साथी भी उनसे जुड़े और उनके साथ रोजाना योग करने लगे। योग की बदौलत कोरोना सरीखी महामारी भी उन्हें संक्रमित नहीं कर पाई।
साइकिल चलाकर तंदुरुस्त रहने की कवायद जारी उन्होंने बताया कि वे जीवन के 76 वसंत देख चुके हैं, पर आज तक उन्होंने मोटर साइकिल या स्कूटी का उपयोग रोजमर्रा के जीवन में नहीं किया। वे अमूमन तो पैदल ही आते-जाते हैं, पर थोड़ा ज्यादा दूर जाना हो तो साइकिल की ही सवारी करते हैं। उनका मानना है कि अव्वल तो साइकिल से प्रदूषण फैलने का खतरा नहीं रहता, फिर साइकिल चलाना सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद है। साइकिल चलाने से समूचे शरीर का व्यायाम हो जाता है। इसके अलावा दिल को स्वस्थ रखने, मांसपेशियों को सुदृढ़ बनाए रखने व शरीर को तंदुरुस्त रखने में इसका कोई सानी नहीं है।