सिरोही

Mount Abu: मास्टर प्लान मॉडिफाई हुए बिना शहरवासियों को नए निर्माण की अनुमति मिलना संभव नहीं

एनजीटी ने भी अंतरिम फैसले में मॉनिटरिंग कमेटी को मास्टर प्लान मॉडिफाई करने के लिए किया था निर्देशित
 
 

सिरोहीFeb 07, 2023 / 04:15 pm

Satya

Mount Abu: मास्टर प्लान मॉडिफाई हुए बिना शहरवासियों को नए निर्माण की अनुमति मिलना संभव नहीं

Protest against monitoring committee in Mount Abuमाउंट आबू . माउंट आबू में मॉनिटरिंग कमेटी के गठन के बावजूद वर्षों से परेशान यहां के बाशिन्दों को अब तक राहत नहीं मिल पाई है। इसके चलते पिछले कई दिनों से यहां के लोगों में आक्रोश व्याप्त है, दो बार धरना-प्रदर्शन भी हो चुका है, लेकिन मॉनिटरिंग कमेटी के पूर्व सदस्य की मानें तो जब तक मास्टर प्लान मॉडिफाई नहीं होगा तब तक किसी भी तरीके का विकास होना संभव नहीं है।
हाल ही में पुस्तकालय भवन में आयोजित हुई मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक में लोगों को 4 गुणा 6 की साइज के बाथरूम की अनुमति व मास्टर प्लान मॉडिफाई करने जैसे निर्णय पर अमल करने की मांग उठी। पालिका अध्यक्ष जीतू राणा व मॉनिटरिंग कमेटी के पूर्व सदस्य व वरिष्ठ पार्षद सौरव गांगडिया ने कहा कि इन पर तुरंत अमल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि माउंट आबू में जब तक मास्टर प्लान मॉडिफाई नहीं होगा, तब तक किसी भी तरीके का विकास होना संभव नहीं है।
जानकारी के अनुसार मार्च 2021 के एनजीटी के अंतरिम फैसले में मॉनिटरिंग कमेटी को मास्टर प्लान मॉडिफाई करने के निर्देश देते हुए इसे अनुमोदन के लिए राज्य सरकार को भेजने के आदेश दिए थे। यह फैसला उस समय दिया गया था जब माउंट आबू में मॉनिटरिंग कमेटी का गठन नहीं हुआ था। ऐसे में अब मॉनिटरिंग कमेटी के गठन के बाद मास्टर प्लान मॉडिफाई के लिए पिछले माह पुस्तकालय भवन में आयोजित हुई बैठक में मास्टर प्लान को मॉडिफाई करने के लिए प्रस्ताव भी लिया गया, लेकिन एक बार फिर से मॉनिटरिंग कमेटी को लेकर मामला न्यायालय में जाने के कारण कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली गई। ऐसे में जब तक मास्टर प्लान मॉडिफाई नहीं होगा तब तक शहर वासियों को नए निर्माण व नक्से स्वीकृति जैसी सुविधा नहीं मिल पाई। जबकि राज्य सरकार ने सारी प्रक्रिया पूर्ण कर नगरपालिका को अधिकार भी दे दिए थे।
हमारी सरकार थी, तब भी टोकन प्रणाली को खत्म करने के लिए लिखा था-विधायक गरासिया

इधर, मॉनिटरिंग कमेटी के गठन को लेकर पिछले 1 सप्ताह से चल रही बयानबाजी भी थमने का नाम नहीं ले रही है। विधायक समाराम गरासिया के हाल ही में आए बयान को पालिका अध्यक्ष जीतू राणा, कई कांग्रेसी नेता सहित भाजपा पार्षद सौरभ गांगडिया ने भी गैर जिम्मेदाराना बयान बताया। इधर, जब पत्रिका ने विधायक समाराम गरासिया से बात की तो वह भी संतोषप्रद जवाब नहीं दे पाए। उन्होंने मॉनिटरिंग कमेटी में स्वयं के व सांसद, जिला प्रमुख और प्रधान को भी सदस्य के रूप में शामिल करने की आवश्यकता जताई। जबकि मॉनिटरिंग कमेटी में कौन-कौन व कैसे-कैसे सदस्य रहेंगे, इसको लेकर हाल ही में केंद्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर राज्य सरकार को इसके गठन के लिए अधिकृत किया था और उसी के अनुरूप ही मॉनिटरिंग कमेटी का राज्य सरकार ने गठन किया है। ऐसे में इसमें बदलाव को लेकर भारत सरकार के पास अधिकार है।
हालांकि विधायक गरासिया ने माउंट आबू में निर्माण सामग्री लाने के लिए चल रही टोकन प्रणाली को खत्म करने की बात कहीं। ऐसे में जब विधायक गरासिया से पूछा गया इससे पूर्व की मॉनिटरिंग कमेटी में सांसद और वे स्वयं सदस्य थे और राज्य व केंद्र में भाजपा की ही सरकार थी, उस दरमियान टोकन प्रणाली मॉनिटरिंग कमेटी के मार्फत क्यों नहीं बंद करवाई गई। जिस पर विधायक गरासिया ने कहा कि हमने उस समय सरकार को लिखा था और हमारी सरकार थी, लेकिन बंद नहीं करा पाए।
डीएफओ बोले भ्रम नहीं फैलाएं, छिपावेरी पर बन रही वन विभाग की चौकी

पिछले 1 सप्ताह से अलग-अलग संगठनों के लोगों द्वारा मॉनिटरिंग कमेटी पर छिपा बेरी पर निर्माण सामग्री के लिए चेक पोस्ट के लिए बनाए जाने वाले कमरे के निर्माण को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा हैं। ऐसे में वन विभाग के डीएफओ विजयपाल सिंह ने पत्रिका को बताया कि यह सब भ्रम है। यहां कोई मॉनिटरिंग कमेटी का चेक पोस्ट नहीं बन रहा है। यह कमरा वन विभाग की चौकी के लिए बन रहा है। क्योंकि कई वर्षों से बनी वन विभाग की चौकी सड़क से काफी दूर है, ऐसे में वन्यजीव व वन्य संपदा को नुकसान पहुंचा कर भागने वाले लोगों को पकडऩे या रोकने में हम असफल हो रहे थे। ऐसे में पूर्व में विभाग के आला अधिकारियों द्वारा निर्देशित किया गया था कि सडक़ किनारे एक कमरा स्थापित कर वहा कर्मचारियों को बिठाएं, ताकि वन संपदा व वन्य जीवों को नुकसान पहुंचाने वाले आरोपियों को आसानी से पकड़ा जा सके।
छिपा बेरी पर बन रहा कमरा वन विभाग की चौकी है। पुरानी चौकी सडक़ से दूर पड़ती है, इसलिए सडक़ किनारे बना रहे है। निर्माण सामग्री के चेक पोस्ट को लेकर इस कमरे का कोई लेना देना नहीं है। मॉनिटरिंग कमेटी का गठन केंद्र व राज्य सरकार द्वारा किया गया है। इसे भंग करने का अधिकार भी उनके ही पास है।
विजय पाल सिंह, डीएफओ, वन विभाग माउंट आबू

विधायक को भारत सरकार के नोटिफिकेशन सहित मॉनिटरिंग कमेटी को लेकर कानूनी जानकारी नहीं है। अपनी नाकामी छुपाने के लिए अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। पहले उनकी सरकार में मॉनिटरिंग कमेटी बनी थी, तब यह स्वयं सदस्य थे। उस समय यह सारे निर्णय क्यों नहीं लिए गए।
जीतू राणा, अध्यक्ष, नगर पालिका माउंट आबू

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