इस अवसर पर कलक्टर डॉ. भंवरलाल ने कहा कि सुनवाई के दौरान जनता की ओर से जो समस्याएं सामने आई हैं उनके निस्तारण के लिए संबंधित अधिकारियों को आदेशित किया गया है। मुख्य तौर पर पट्टे आवंटन, भवन निर्माण स्वीकृति की जटिलता से राहत दिलाने, इस संदर्भ में नगरपालिका में लंबे समय से लंबित चली आ रही पत्रावलियों का शीघ्र निस्तारण कर निस्तारित योग्य पत्रावलियों पर उचित कार्यवाही व जो स्वीकृति योग्य नहीं हैं उन पर विधिमान्य कारण बताकर संबंधित को लौटाए जाने को आदेशित किया गया है। पर्यटन स्थल के विकास से संबंधित जो भी सुझाव आये हैं उन्हें माउंट आबू विकास समिति की आयोजित होने वाली बैठक के एजेंडे में शामिल कर आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।
इन्होंने भी विचार व्यक्त किए जनसुनवाई में आबू संघर्ष समिति अध्यक्ष प्रवीण सिंह, हाजी मोहम्मद साबिर कुरैशी, शैतान सिंह भायल, युसुफखान, देवी सिंह देवल, भरत सिंह राठौड़, ईश्वर चंद डागा, विकास अग्रवाल, तस्लीम बानो समेत लोगों ने विचार व्यक्त किए।
जनसुनवाई में ये रहे उपस्थित जनसुनवाई के दौरान विधायक समाराम गरासिया, पुलिस अधीक्षक ममता गुप्ता, उपखंड अधिकारी माउंट आबू राहुल जैन, उपखंड अधिकारी आबूरोड नीलम लखारा, तहसीलदार रेवदर मनोहर सिंह, पुलिस उपाधीक्षक योगेश शर्मा, उपवन संरक्षक विजयपाल सिंह, पालिका अध्यक्ष जीतू राणा, उपाध्यक्ष रणजीत बनौधा, पार्षदगण, पर्यटक सहायक निदेशक सुमीता मीणा, वीडीओ नवलाराम, पालिका आयुक्त शिवपाल सिंह, एईएन पीडब्ल्यूडी संजीव कुमार संचेती, एईएन नगरपालिका नवोदित सिंह, नायब तहसीलदार कुंजबिजारी झा, भूअभिलेख निरीक्षक सुखराज सिंह चारण, चपंत सिंह चौहान समेत बड़ी संख्या में अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में नागरिकों ने अपनी समस्याओं का निदान करने की मांग की।
जनसुनवाई के दौरान सामने आई प्रमुख मांगे जिला कलक्टर की अध्यक्षता में संपन्न हुई जनसुनवाई के दौरान माउंट आबू के बाशिन्दों की ओर से 69ए, स्टेटग्रांट एक्ट के तहत पट्टे दिलवाने, खांचा भूमि, संपत्ति हस्तांतरण की लंबित पत्रावलियों का शीघ्र निस्तारण करने, वर्षों पूर्व कृषि भूमि पर बने मकानों के पट्टे दिलवाने, 2009 में बने जोनल मास्टर प्लान से पूर्व माउंट आबू में नाले व जलाशयों के किनारे बने हुए मकानों को पट्टे दिलाने सहित विभिन्न मांगों का निस्तारण करने पर बल दिया गया।
इनका कहना है निर्माण सामग्री परिवहन करने में कानून में कोई रोक नहीं है लेकिन माउंट आबू के नागरिक यहां निर्माण का सामान नहीं ला सकते हैं। मास्टर प्लान में टाइल्स लगाने जैसे कार्य की स्वीकृति लेने का कोई प्रावधान नहीं होने के बावजूद भी यदि कोई दो पेटी टाइल्स लाता है तो उसके साथ तस्कर जैसा व्यवहार किया जाता है। जो बिल्कुल ही न्यायसंगत नहीं है। इस परिपाटी में सुधार होना चाहिए। लोगों के मूलभूत अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए।
समाराम गरासिया, विधायक पिण्डवाडा-आबू। भवन निर्माण के सरलीकरण को राज्य सरकार द्वारा निर्देश दिए गए थे। टोकन लेने में आ रही परेशानियों का भी निराकरण हो चुका था, लेकिन लंबा अर्सा बीतने के बाद भी इसे धरातल पर नहीं लाया गया। जिससे नागरिकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। निर्माण सामग्री के अभाव में वार्डों में विकास कार्य भी रूके हुए हैं। जिसका सरलीकरण होना चाहिए।
नारायण सिंह भाटी, पार्षद माउंट आबू एक ओर माउंट आबू की जनता आवश्यकतानुसार भवन मरम्मत, नवीनीकरण की स्वीकृति प्राप्त करने को परेशान है, दर-दर भटक रही है। दूसरी ओर पुलिस, सीआरपीएफ, मिल्ट्री, एयरफोर्स से लेकर प्रभावशाली लोगों के निर्माण कार्य धड़ल्ले से हो रहे हैं। उन्हीं की तर्ज पर आम जनता को भी स्वीकृति देकर राहत दी जानी चाहिए।
मांगीलाल काबरा, पार्षद माउंट आबू पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्षितिज पर माउंट आबू की अच्छी छवि बनाए जाने को यहां के विधिवत विकास की योजनाएं बने। समुचित पार्किंग व्यवस्था हो। बार-बार जाम से निजात पाने को कोलडिपो से सनसेट की ओर से जाने वाले मार्ग को विकसित कर एकतरफा यातायात के लिए तैयार किया जाए। सनसेट प्वाइंट पर वनविभाग की ओर से लिया जाने वाला शुल्क हटा दिया जाए। जिससे पर्यटकों को होने वाली परेशानी से निजात मिले।
सुनील आचार्य, पालिका में नेता प्रतिपक्ष