टिप्पणी: योगाचार्य की मौत पर सवाल!
योगाचार्य पूरन चित्तारा की मौत कई सवाल छोड़ गई।

सिरोही से अमरसिंह राव
सिरोही जिले के नामी योगाचार्य पूरन चित्तारा की मौत कई सवाल छोड़ गई। दिलचस्प तथ्य यह कि जो शख्स योग के माध्यम से बेहतर जिन्दगी जीने का सन्देश देता था, वह आसानी से आत्महत्या जैसा कदम कैसे उठा सकता है? यह सवाल हर किसी के गले नहीं उतर रहा। ठोस कारणों की तह में जाना बेहद जरूरी है, तभी दूध का दूध और पानी का पानी हो पाएगा। यह दीगर बात है कि पुलिस इस प्रकरण से जुड़े हर सवाल का जवाब ढूंढने में लगी है।
आत्महत्या के कारण की मूल वजह एक शिक्षक को बताया है। इस बारे में सुसाइड नोट में भी साफ लिखा है कि वे उनकी सारी काली करतूत जान चुके थे और इस कारण परिवार को नुकसान पहुंच सकता है। सवाल यह कि उस शिक्षक की ऐसी कौनसी काली करतूत योगाचार्य जान चुके थे और उससे किस तरह का नुकसान पहुंच सकता है? इससे पर्दा उठना बाकी है।
आत्महत्या के बाद पुलिस को योगाचार्य के कपड़ों या घटनास्थल पर कोई सुसाइड नोट नहीं मिला। बाद में उसके भाइयों को वाट्सएप मैसेज पर सुसाइड नोट मिलने की बात सामने आने पर मूल प्रति पुलिस को सौंपी गई। बड़ा सवाल यह कि सुसाइड नोट घटनास्थल पर क्यों नहीं मिला? कहीं इसे गायब तो नहीं किया गया? गायब किया तो इसके पीछे क्या वजह रही? यदि गायब नहीं किया गया तो बाद में किसने और कैसे खोजा? दिलचस्प पहलू यह भी कि सिर्फ भाइयों को ही सुसाइड नोट वाट्सएप पर पोस्ट किया, अन्य परिजनों को नहीं। क्यों?
योगाचार्य ने आत्महत्या से पहले सादे कागज पर वसीयत लिखी। मकान और जमीन तक बेटे योगांश के नाम करने को कहा है लेकिन पत्नी के नाम कुछ नहीं किया। आखिर ऐसा क्या कारण रहा कि पत्नी के नाम कोई सम्पत्ति नहीं लिखी? क्या कोई नाराजगी थी? या कोई और कारण? उनकी अंतिम इच्छा है कि उनके (योगाचार्य) मरने के बाद भी पत्नी सदा सुहागिन बनकर जिए। आखिर ऐसी क्या वजह रही कि योगाचार्य ने पत्नी को सदा सुहागिन बनकर रहने की अंतिम इच्छा जताई?
घटना को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है। पुलिस को चाहिए कि इसकी कड़ी से कड़ी जोडक़र मामले का जल्द खुलासा करे। वहीं सामाजिक रूप से देखें तो योगाचार्य ने आत्महत्या का जो मार्ग अपनाया वह सही नहीं था। कानून तक इसकी इजाजत नहीं देता। ऐसी कोई परेशानी नहीं जिसका हल नहीं निकाला जा सके। यदि समय रहते इन्होंने कुछ पल भी ठण्डे दिमाग से जिंदगी के बारे में सोचा होता तो आज सवाल छोडऩे वाली हैडलाइन ही नहीं बनती।
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