कई बार निरस्त हुईए कई बार बनी योजनाए हर बार ठगते रहे लोग
साल 1977 में 27 लाख रुपए की लागत से बांध परियोजना अस्तित्व में आई। 1979 में तकनीकी बिंदुओं की टिप्पणी से निरस्त की गई। वर्ष 1980 में योजना पुनरू शुरू। फिर राजनीतिक व विभागीय दावपेंच के कारण 16 साल तक ठंडे बस्ते में डाल दी गई। 1996 में 11 करोड़ 45 लाख की लागत से योजना की कवायद फिर शुरू की गई। 6 जनवरी 1999 को योजना जलदाय विभाग ने दस्तावेज वन विभाग को सौंपे। 3 अगस्त 2000 को वनविभाग ने केंद्र सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा। 26 फरवरी 2002 को योजना कुछ कारण बताते हुए फिर निरस्त कर दी गई। 3 जनवरी 2006 को 33 करोड़ 16 लाख की पुनरू संशोधित योजना जलदाय की ओर से वनविभाग को सुपुर्द की गई। 14 सितम्बर 2006 को विभाग की ओर से सक्षम स्वीकृति को अनुशंसा की गई। 27 नवम्बर 06 को भारतीय वन्यजीव मंडल की पुनरू भेजने की मांग की। 8 मई 07 को जलदाय विभाग ने वनविभाग को योजना दी। 14 मई 07 को वनविभाग ने फिर अनुश्ंासा की। 8 अक्टूबर 2007 को केंद्रीय पर्यावरणए वन मंत्रालय ने इसे प्रथम दृष्टया स्वीकृत कर स्टेंडिग कमेटी को निर्माण स्थल निरीक्षण के निर्देश दिए। 16 फरवरी 08 को कमेटी की ओर से अधिकारियों ने निरीक्षण किया। 29 जून 2010 को कैचमेंट ऐरिया पर बांध की मूललागत से कई गुणा अधिक व्यय आने से अव्यवहारिक बताते हुए योजना निरस्त कर दी गई। इसके कुछ माह बाद योजना पर फिर कवायद शुरू। 27 जनू 2012 को संसदीय समिति की ओर से मौका निरीक्षण। योजना का प्रारूप बना। 29 जुलाई 2016 को मुख्यमंत्री के समक्ष परियोजना का मुद्दा उठा। अगस्त 2016 में राज्य वाइल्डलाइफ बोर्ड ने आंशिक संशोधन कर सैद्वान्तिक स्वीकृति दी। 7 सितम्बर 2016 में राज्य वाइल्ड लाइफ बोर्ड की ओर से परियोजना को हरी झंडी। वनविभाग की ओर से केंद्र सरकार को संप्रेषित की गई। 15 मई 2017 को नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड की ओर से परियोजना को सैद्धांतिक स्वीकृति। कुछ समय पूर्व करीब ढाई सौ करोड़ की डीपीआर संबंधित विभाग की ओर से सचिव मंडल को संप्रेषित की गई है। जिसकी प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति का इंतजार है।
जानकार बताते हैं कि सालगांव बांध परियोजना के तहत 155ण्56 मिलियन घन फीट भराव क्षमता का बांध बनना तय है। बांध बनने माउंटवासियों के लिए स्थाई पेयजल का समाधान हो जाएगा। इसके अलावा बांध से रिसने वाले पानी से काश्तकारों की भूमि सिंचाई हो सकेगी। भू.क्षरण पर रोक लगने और वन्यजीवों को भी पीने का पानी मिल जाएगा। सबसे बड़ा कारण यह कि बारिश के दिनों में जो पानी व्यर्थबहकर चला जाता है उसका सदुपयोग होगा।
इनका कहना है
सालगांव बांध परियोजना की ढाई सौ करोड़ की डीपीआर पीपीसीए प्रशासनिक और वित्तीय सक्षम स्वीकृति के लिए भेजी हुई है। सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि प्रक्रिया अंतिम चरण में है।स्वीकृति मिलने के बाद ही आगे का कार्य संपादित किया जाएगा।
.विमल प्रकाश सिसोदियाए एक्सईएन पीएचईडीए
परियोजना खंडए सिरोही