प्रक्रिया का नहीं पालन
नगर परिषद में कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर नियम-अधिनियम बने हुए हैं। इसके तहत नगर परिषद मंडल की ओर से कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर प्रस्ताव पारित करने के बाद स्वीकृति के लिए वित्त विभाग स्वायत्त शासन निदेशालय भिजवाना आवश्यक है। वहां स्वीकृति के बाद ही सीधी भर्ती के माध्यम से प्रक्रिया को पूरा करना जरूरी है लेकिन सिरोही नगर परिषद ने इस प्रावधान की पालना ही नहीं की। वहीं रिक्त पदों की स्वीकृति भी समक्ष स्तर पर नहीं ली गई।
नगर परिषद में कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर नियम-अधिनियम बने हुए हैं। इसके तहत नगर परिषद मंडल की ओर से कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर प्रस्ताव पारित करने के बाद स्वीकृति के लिए वित्त विभाग स्वायत्त शासन निदेशालय भिजवाना आवश्यक है। वहां स्वीकृति के बाद ही सीधी भर्ती के माध्यम से प्रक्रिया को पूरा करना जरूरी है लेकिन सिरोही नगर परिषद ने इस प्रावधान की पालना ही नहीं की। वहीं रिक्त पदों की स्वीकृति भी समक्ष स्तर पर नहीं ली गई।
सेवानिवृत्ति के बाद शिकायत
लालसिंह के सेवानिवृत्त होने के बाद नियम विरुद्ध भर्तीप्रक्रिया को लेकर शिकायत हुई थी। इस पर नगर परिषद ने इन कर्मचारियों की नियुक्ति को निरस्त कर दिया। इसके बाद कुछ कर्मचारी हाईकोर्ट पहुंच गए जहां से स्टे मिल गया लेकिन डबल बैंच में कर्मचारी केस हार गए। इसके बाद उन्हें हटा दिया गया।
लालसिंह के सेवानिवृत्त होने के बाद नियम विरुद्ध भर्तीप्रक्रिया को लेकर शिकायत हुई थी। इस पर नगर परिषद ने इन कर्मचारियों की नियुक्ति को निरस्त कर दिया। इसके बाद कुछ कर्मचारी हाईकोर्ट पहुंच गए जहां से स्टे मिल गया लेकिन डबल बैंच में कर्मचारी केस हार गए। इसके बाद उन्हें हटा दिया गया।
बिना आवेदन ही नियुक्ति
भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने वाले कई अभ्यर्थियों की ओर से आवेदन तक नहीं किया गया। बावजूद इसके उनको नियुक्ति दे दी गई। …और इसलिए किया खेल!
आरोप है कि सभापति और तत्कालीन आयुक्त के चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए नगर परिषद में विभिन्न पदों पर भर्तीप्रक्रिया का खेल खेला गया। इसमें बागवान के पद पर सभापति के भतीजे जयंतीलाल को ही नियुक्ति दे दी गई जबकि भर्ती के समय चार जने निर्धारित आयु सीमा को पार कर चुके थे।
भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने वाले कई अभ्यर्थियों की ओर से आवेदन तक नहीं किया गया। बावजूद इसके उनको नियुक्ति दे दी गई। …और इसलिए किया खेल!
आरोप है कि सभापति और तत्कालीन आयुक्त के चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए नगर परिषद में विभिन्न पदों पर भर्तीप्रक्रिया का खेल खेला गया। इसमें बागवान के पद पर सभापति के भतीजे जयंतीलाल को ही नियुक्ति दे दी गई जबकि भर्ती के समय चार जने निर्धारित आयु सीमा को पार कर चुके थे।
गुपचुप जारी की विज्ञप्ति
आरोप है कि भर्ती प्रक्रिया के बारे में किसी को भनक नहीं लगे, इसको लेकर भी हर हथकंडे अपनाए गए। विज्ञप्ति भी ऐसे अखबार में प्रकाशित करवा दी, जिसके बारे में आमजन को कोई पता ही नहीं था। इसके अलावा विज्ञप्ति में पदों के लिए शैक्षणिक योग्यता और आयु के बारे में भी कोई उल्लेख नहीं किया गया।
आरोप है कि भर्ती प्रक्रिया के बारे में किसी को भनक नहीं लगे, इसको लेकर भी हर हथकंडे अपनाए गए। विज्ञप्ति भी ऐसे अखबार में प्रकाशित करवा दी, जिसके बारे में आमजन को कोई पता ही नहीं था। इसके अलावा विज्ञप्ति में पदों के लिए शैक्षणिक योग्यता और आयु के बारे में भी कोई उल्लेख नहीं किया गया।
इनका कहना है…
&नगर परिषद में कर्मचारियों की भर्ती में अनियमितता को लेकर शिकायत मिली थी। इस पर एसीबी की ओर से प्राथमिक स्तर पर जांच की गई। इसमें आरोप सही होने पर मुख्यालय की ओर से प्रकरण दर्ज किया गया है। अब मामले की जांच कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
-जितेन्द्रसिंह मेड़तिया, उप अधीक्षक, एसीबी, सिरोही
&नगर परिषद में कर्मचारियों की भर्ती में अनियमितता को लेकर शिकायत मिली थी। इस पर एसीबी की ओर से प्राथमिक स्तर पर जांच की गई। इसमें आरोप सही होने पर मुख्यालय की ओर से प्रकरण दर्ज किया गया है। अब मामले की जांच कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
-जितेन्द्रसिंह मेड़तिया, उप अधीक्षक, एसीबी, सिरोही
मैं नया था तो मुझे पता नहीं था
&बोर्ड में मेरा कार्यकाल नया था। ऐसे में मुझे भर्ती प्रक्रिया के बारे में जानकारी नहीं थी। आयुक्त ने भर्ती प्रक्रिया के लिए सक्षम होने की बात कही थी। इसके आधार पर बोर्ड में प्रस्ताव लेकर भर्ती की गई थी लेकिन बाद में शिकायत पर डीएलबी ने कर्मचारियों को हटाने के आदेश जारी किए थे। बाद में कोर्ट के आदेश पर लगाया गया था। फिर दुबारा कोर्ट के आदेश पर हटा दिया गया। मैंने तो पांच कर्मचारियों को लगाने के लिए ही पत्रावली पर हस्ताक्षर किए थे। वहीं पांच जनों को तत्कालीन आयुक्त ने मर्जी से ही लगाया था।
-ताराराम माली, सभापति, नगर परिषद, सिरोही
&बोर्ड में मेरा कार्यकाल नया था। ऐसे में मुझे भर्ती प्रक्रिया के बारे में जानकारी नहीं थी। आयुक्त ने भर्ती प्रक्रिया के लिए सक्षम होने की बात कही थी। इसके आधार पर बोर्ड में प्रस्ताव लेकर भर्ती की गई थी लेकिन बाद में शिकायत पर डीएलबी ने कर्मचारियों को हटाने के आदेश जारी किए थे। बाद में कोर्ट के आदेश पर लगाया गया था। फिर दुबारा कोर्ट के आदेश पर हटा दिया गया। मैंने तो पांच कर्मचारियों को लगाने के लिए ही पत्रावली पर हस्ताक्षर किए थे। वहीं पांच जनों को तत्कालीन आयुक्त ने मर्जी से ही लगाया था।
-ताराराम माली, सभापति, नगर परिषद, सिरोही