जिला परिषद सदस्य दिलीपसिंह ने कहा कि पिछले साल 24 दिसम्बर को हुई सामान्य बैठक की कार्यवाही का विवरण सदस्यों को और उन्हें 10 जून को मिला। प्रधान से पता किया तो पता चला कि प्रोसेडिंग बिना उनकी सहमति के अपने स्तर पर जारी की गई है। 24 दिसम्बर की बैठक में सदस्यों द्वारा किए गए प्रस्तावों की अनुपालना रिपोर्ट अभी तक जारी नहीं की गई है, क्योंकि संबंधित विभागों को अभी तक उसकी प्रोसेडिंग मिली ही नहीं है तो अनुपालना कैसे संभव है।
विकास अधिकारी पर पंचायतीराज के नियमों की अवहेलना करने, सदस्यों ने जो प्रस्ताव दिए थे वे छह महीने से अधरझूल में होने, विकास कार्य भी अधरझूल में लटके होने के आरोप लगाए गए। सिंदरथ सरपंच बार-बार कार्यवाही में व्यवधान डालने लगे, जिस पर बार-बार समझाने के बावजूद वे नहीं माने। राजाराम व माधोसिंह ने पालना रिपोर्ट के बारे में कहा तो पालना रिपोर्ट नहीं दी गई व टालमटोल करने लगे। जिस पर पंचायत समिति सदस्य विकास अधिकारी के असहयोगात्मक रवैए का विरोध करते हुए सदन से बहिगर्मन कर गए। बाद में दोनों पक्षों ने जिला कलक्टर से बातचीत कर अपनी-अपनी समस्याओं को कलक्टर के सामने रखा।
सरपंच संघ ने प्रधान पर लगाया हठधर्मिता का आरोप बाद में सरपंच संघ की ओर से सिरोही प्रधान की कथित हठधर्मिता व सरपंचों के साथ अभद्र व्यवहार को लेकर जिला कलक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में समिति की सामान्य बैठक में प्रधान ने जनप्रतिनिधियों के साथ दुर्व्यवहार कर उन्हें बाहर निकालने की धमकी देने का आरोप लगाया। जन प्रतिनिधियों के साथ दुर्व्यवहार कर विकास कार्यों की अनेदखी करने, अकाल की स्थिति में चारा-पानी व मनरेगा की समस्याओं को नजरअंदाज करने, विकास कार्यों में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए कहा कि इससे सरपंच संघ में रोष व्याप्त है। और भी कई आरोप लगाए। प्रधान के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की भी मांग की। कलक्टर से बातचीत के दौरान सरपंच शिवराजसिंह, गुमानसिंह देवड़ा मेर मांडवाड़ा, पाड़ीव सरपंच देशाराम मेघवाल, देवाराम सुथार, सवितादेवी मेघवाल, इन्द्रा रावल, भरत माली, हिम्मत मेघवाल, महिपालसिंह, तगाराम हीरागर, नीतू कंवर, कवलीदेवी देवासी, अर्जुनसिंह तंवर आदि मौजूद थे।
