जल्द ही चमकेंगी जिले के गांवों की गलियां ,स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण का दूसरा चरण शुरू
- ठोस-तरल कचरा प्रबंधन के लिए 75 गांवों की डीपीआर तैयार

सिरोही. अब शहरों की भांति जिले के हर गांव की गलियां भी चमचमाएंगी। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के दूसरे चरण के तहत गांवों में भी ठोस, तरल कचरा एवं मल प्रबंधन किया जाएगा। हर घर तक सफाईकर्मी पहुंचेंगे और सीटी बजाकर ठोस-तरल कचरा ले जाएंगे। जिले के गांवों को खुले में शौचमुक्त यानी ओडीएफ करने के बाद अब एक कदम आगे स्वच्छता की ओर बढ़ाया गया है। इसके लिए जिला परिषद की ओर से ओडीएफ प्लस के तहत कार्य किया जा रहा है।
जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भागीरथ बिश्नोई ने बताया कि जिले में मिशन के तहत काम शुरू हो चुका है। सिरोही, पिण्डवाड़ा, शिवगंज, रेवदर, आबूरोड ब्लॉक में इसके तहत होने वाले कार्यों की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाई जा रही है। दो चरणों में जिले के करीब 75 गांवों की डीपीआर तैयार कर ली गई है।
ये होंगे काम
स्वच्छ गांव के रूप में विकसित करने के लिए कचरा प्रबंधन के तहत अलग-अलग प्रकार के कार्य किए जाएंगे। इनमें नालियों का निर्माण, सोख्ता गड्ढा, मैजिक पिट के साथ कचरा निस्तारण की विशेष व्यवस्था की जाएगी। कचरा निस्तारण के भी दो भाग रहेंगे जिसमें एक भाग में गीला कचरा और दूसरे भाग में सूखा कचरा रहेगा।
पंचायतों में जारी है सर्वे
उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के पहले चरण में घर-घर शौचालय बनवाए थे। अब दूसरे चरण में गांव-गांव में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत ओडीएफ प्लस पर कार्य किया जा रहा है। इसके तहत दो चरणों में जिले के 75 गांवों की डीपीआर तैयार हो चुकी है। प्रथम चरण में हर ब्लॉक से 5-5 यानी 25 और दूसरे चरण में हर ब्लॉक से 10-10 यानी 50 गांवों की डीपीआर बना ली गई है। तीसरे चरण में हर ब्लॉक से 20-20 यानी 100 गांवों की डीपीआर बनाई जा रही है। यह कार्य सप्ताहभर में पूर्ण होगा। चरणबद्ध रूप से यह प्रक्रिया सभी गांवों में अपनाई जाएगी। जिला परिषद की टीमें फिलहाल गांवों में सर्वे कर रही हैं। इसमें घर-घर कचरा एकत्र करने, सफाई कर्मचारियों के लिए आवश्यक उपकरण क्रय करने और कचरे के प्रबंधन का पूरा प्लान बनाया है। सबसे पहले घर-घर जाकर गीला और सूखा कचरा उठाया जाएगा। बाद में गीले कचरे को एक चिह्नित स्थान पर डंप किया जाएगा। कचरे से प्लास्टिक की बोतलें व अन्य बेकार की चीजों को हटाया जाएगा। इसके बाद उस गीले कचरे को प्रबंधन प्लांट पर लाया जाएगा। वहां उस कचरे को मशीन में डाला जाएगा। फिर कैमिकल डालकर कचरे को सूखने के लिए छोड़ दिया जाएगा। इसके बाद वह कचरा खाद में तब्दील हो जाएगा। घरों से निकले गंदे जल का उपयुक्त तकनीक से ट्रीटमेंट किया जाएगा ताकि गांव पूरी तरह स्वच्छ रहेगा और गांव के लोग भी स्वच्छ हवा में सांस ले सकेंगे।
दो प्लॉस्टिक रीसाइकिल प्लांट लगेंगे
गांवों से निकले प्लॉस्टिक कचरे को रीसाइकिल किया जाएगा। इसके लिए दो प्लांट लगाए जाएंगे। एक प्लांट के लिए सिंदरथ में जगह तय कर दी है। दूसरे के लिए कवायद जारी है। इनमें डंपिंग यार्ड से छांटकर प्लॉस्टिक कचरा लाया जाएगा।
कल बैठक में अनुमोदन
जिला स्वच्छता समिति की बैठक सोमवार को जिला कलक्टर की अध्यक्षता में होगी। इसमें अब तक तैयार 75 गांवों की डीपीआर का अनुमोदन किया जाएगा। फिर इसे स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। हर गांव के लिए 15-20 लाख रुपए की डीपीआर बनाई गई है। इसमें गांव की जरूरत के अनुरूप घट-बढ़ संभव है।
एक नजर
- घर-घर से कचरा एकत्र करने के लिए वाहन खरीदेंगे।
- सफाई कर्मचारियों को सभी जरूरी उपकरण उपलब्ध करवाएंगे।
- हर परिवार के लिए गांव में डबल डस्टबिन लगाएंगे।
-स्नानघर व रसोई के गंदे पानी को एक जगह तक पहुंचाने के लिए नाले-नालियां बनाएंगे।
- यहां वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के माध्यम से गंदे पानी को वापस उपयोग में लाया जा सकेगा।
- कचरे को एकत्र कर उसे अलग किया जाएगा।
- गीले कचरे से खाद बनाने के लिए कंपोस्ट पिट बनाएंगे।
कचरा भरेगा पंचायतों का खजाना...
जिले के पांचों ब्लॉक में चरणबद्ध रूप से कार्य किया जा रहा है। हर गांव में कचरा प्रबंधन का कार्य किया जाएगा। इसके लिए केन्द्र सरकार ने राशि जारी की है। इसमें 70 प्रतिशत स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण और 30 प्रतिशत स्थानीय स्तर पर खर्च का प्रावधान किया है। इसमें मनरेगा, सांसद, विधायक मद और अन्य मदों से राशि जुटाई जाएगी। कचरे से पंचायत को आमदनी के लिए भी काम किया जाएगा।
- जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भागीरथ बिश्नोई
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