इस मतदान केन्द्र के दायरे में दो गांव ‘उतरज‘ और ‘शेरगांव‘ आते हैं। जिनमें कुल 354 मतदाता हैं। घने जंगलों में स्थित उतरज और शेरगांव के बीच करीब 16 किलोमीटर का फासला है। शेरगांव गांव के लोगों को उतरज आने के लिए करीब छह घंटे पहले घर से निकलना पड़ता है। दोनों गांवों के बीच ऊंचे-ऊंचे पहाड़ है और पैदल आने-जाने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है। मतदान के लिए 5 से 6 घंटे के सफर पर जाने से पहले लोग अपने साथ खाने और पानी की व्यवस्था करके चलते हैं। पहाड़ों पर चलते-चलते अच्छे-अच्छे लोगों की सांसें फूल जाती है।
यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने आज तक अपने गांवों में लोकसभा और विधानसभा चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशी को नहीं देखा है। यहां कोई आता ही नहीं। यहां सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है। लेकिन मतदाता हर बार इस उम्मीद से वोट देते हैं कि अबकी बार कोई तो उनकी सुनेगा और गांव की दशा सुधरेगी।