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वीरेन्द्र दीक्षित के आश्रम में मिली कमियां, अब सरकार को भेजेंगे रिपोर्ट

locationसिरोहीPublished: Jan 12, 2018 11:47:13 am

नया खेड़ा व माउंट आबू के गोमुख रोड स्थित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय का गुरुवार को राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्यों ने किया निरीक्षण

sirohi

आबूरोड. आध्यात्मिक विश्वविद्यालय का निरीक्षण करते आयोग सदस्य।

आबूरोड/माउंट आबू. नया खेड़ा व माउंट आबू के गोमुख रोड स्थित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय का गुरुवार को राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्यों ने निरीक्षण किया। जिसमें विभिन्न कमियां उजागर हुईहै। आयोग सदस्य उमा रतनु, साधनासिंह व एसपी सिंह ने गुरुवार शाम पुलिस जाप्ते के साथ संस्थान में प्रवेश के लिए पहुंचे। भीतर से सदस्यों के पहुंचने पर काफी सवाल-जवाब के बाद उन्हें प्रवेश करने दिया गया। हालांकि पुलिस व आयोग सदस्यों के अलावा मीडियाकर्मियों को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। करीब पौने घंटे सदस्य संस्थान की प्रशिक्षिकाओं से वार्ता करते दिखाई दिए। इसके बाद सदस्यों ने कमरों में जाकर बालिकाओं से वार्ता की। इस दौरान बाहर लोगों की भीड़ लग गई। जैसे ही सदस्य जांच कर बाहर आए तो बाशिंदों ने सवालों की झड़ी लगा दी। लोगों ने कहा कि अब तक तीसरी बार पुलिस यहां कार्रवाई कर चुकी है। अंदर क्या गतिविधियां हो रही है, इसकी किसी को भी जानकारी नहीं है और ना ही संस्थान का बाहर बोर्ड लगा हुआ है। इस पर सदस्यों ने जांच के बाद कार्रवाई की बात कही।
आयोग की सदस्य पोक्सो अधिनियम समिति प्रभारी उमा रतनु ने कहा कि संस्थान के निरीक्षण के दौरान सदस्यों को जो कमियां मिली है। उसकी रिपोर्ट तीन दिन में बनाकर कार्रवाई के लिए भेजी जाएगी। उसके बाद नियमानुसार संस्थान पर कार्रवाई की जाएगी।
यह मिली खामी
सदस्यों ने बताया कि प्रथम दृष्टया तो संस्थान में कई कमियां पाई गई। बाल कल्याण समिति की अनुमति व बिना पंजीयन के बिना संस्थान का संचालन हो रहा है। बिना किसी सरकारी प्रमाण पत्र के कोई भी बालिकाओं एक जगह नहीं रख सकता, चाहे परिजनों की अनुमति हो या ना हो। किसी को यह भी अधिकार नहीं है कि बच्चे शिक्षा से वंचित हो या बच्चों का शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो। उनके संस्था प्रधान से बात करने पर उन्होंने कहा कि यहां के बच्चे कभी बीमार ही नहीं होंगे जो सम्भव नहीं है। संस्थान के संचालकों से कोई भी सवाल करने पर संतोषप्रद जवाब नहीं मिला। जांच रिपोर्ट के बाद इनके संचालकों को तलब कर कारण पूछे जाएंगे।
नहीं मिल रही बालिकाओं को बेहतर शिक्षा
आरटीई समिति अध्यक्ष व आयोग सदस्य एसपी सिंह ने बताया कि दीक्षित के दो केन्द्र बताए गए थे। लेकिन जांच करने पर तीन-चार केन्द्र और मिले हैं। माउंट आबू में दो केन्द्र और मिले हैं। यह एक सुधारगृह न होकर एक जेल के समान है। सुरक्षात्मक दृष्टि से भी संस्थान सही नहीं है। बालिकाओं को आरटीई के तहत मूलभूत शिक्षा ही नहीं मिल रही है।
दो बालिकाएं ही १०वीं उत्तीर्ण
सदस्यों ने बताया कि संस्थान में केवल दो बालिकाएं ही १०वीं उत्तीर्ण है। बालिकाओं से जब पूछा गया कि वह भविष्य में क्या बनना चाहती तो सभी ने कहा कि वे कुछ नहीं बनेंगे, केवल आध्यात्मिक शिक्षा ग्रहण करेंगे। किशोर न्याय अधिनियम के तहत भी कोईरजिस्ट्रेेशन नहीं करवाया गया है। बालिकाएं पूर्णतया असुरक्षित वातावरण में रह रही है, जहां उनके मनोरंजन, खेलकूद व शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है। माउंट आबू के आश्रम में करीब ६० बालिकाएं मिली है। दोनों संस्थान में केवल दो बालिकाएं ही राजस्थान की थी। शेष सभी अन्य राज्यों से यहां रह रही है। वहीं नेपाल से नयाखेड़ा स्थित संस्थान में करीब २० बालिकाएं हैं।
शारीरिक व मानसिक विकास अवरूद्ध
आयोग सदस्य व मनोचिकित्सक साधनासिंह ने बताया कि बालिकाओं का शारीरिक व मानसिक विकास अवरूद्ध हो रहा है। शारीरिक विकास के लिए बच्चों के खेलने के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए। पूरा भवन इस प्रकार बना है कि कहीं से भी अंदर धूप नहीं आ सकती है। जब बालिकाएं एक भवन में बंद रहेगी तो मानसिक विकास प्रभावित होना लाजिमी है। बालिकाओं को केवल आध्यात्मिकता का ज्ञान दिया जा रहा है। व्यावहारिक ज्ञान की जानकारी नहीं मिल रही।
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