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Woman’s day: महिला सशक्तिकरण का दूसरा नाम : दादी जानकी, 46 हजार महिला सदस्यों की नायिका

locationसिरोहीPublished: Mar 08, 2019 08:27:51 pm

Submitted by:

mahesh parbat

– १४० देशों में फैले ब्रह्माकुमारी संस्थान की मुख्य प्रशासिका है दादी जानकी – 103 साल की उम्र में एक साल में की 50 हजार किमी की यात्रा- विश्व की सबसे स्थिर मन की महिला का है वल्र्ड रिकार्ड- मात्र चौैथी कक्षा तक पढ़ी, 46 हजार बहनों की अलौकिक मां- संस्थान से जुड़े 12 लाख से अधिक सदस्य

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दर्शन शर्मा / आबूरोड. विश्व महिला दिवस मतलब आधी दुनिया का दिन। इस दिन यदि महिलाओं के सशक्तिकरण की बात की जाए तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैले एक आध्यात्मिक संस्थान प्रजापित ईश्वरीय ब्रह्माकुमारी आध्यात्मिक विश्वविद्यालय की सुप्रिमो के रूप में जानी जाने वाली दादी जानकी का नाम सबसे पहले जहन में आता है। इस १०३ वर्षीय उम्रदराज सख्शियत ने भले ही शिक्षा चौथी तक ही ग्रहण की है, लेकिन ४६ हजार महिलाओं समेत कुल १२ लाख से अधिक सदस्यों की संस्थान की मुखिया के रूप में राजयोग का पाठ लोगों को पढ़ा रही है।
संस्थान के आबूरोड स्थित मुख्यालय पर जब दादी जानकी के जीवन के पहलुओं को जानना चाहा तो कई असाधारण तथ्य भी सामने आए।103 साल वर्ष की उम्रमें भी अलसुबह ४ बजे से जागरण और ध्यान, आज भी युवाओं जैसा उत्साह, 8 0 फीसदी चीजें मौखिक याद ऐसे अद््भुत व्यक्तित्व की धनी दादी जानकी का जीवन संस्थान से जुड़े सदस्यों के लिए प्रेरणापूंज के समान है। यही नहीं विश्व की सबसे स्थिर मन की महिला का वल्र्ड रिकार्ड भी दादी जानकी के नाम है।
योग से मन इतना संयमित, पवित्र, शुद्ध और सकारात्मक बना लिया है कि वह जिस समय चाहें, जिस विचार या संकल्प पर और जितनी देर चाहें, स्थिर रह सकती हैं। यहीं कारणहै कि जीवन के 103 बसंत पार करने के बाद भी आज भी आपकी ऊर्जा व उत्साह देखते ही बनता है। केवल भारत ही नहीं बल्कि विश्व के 140 देशों में अपनी मौजूदगी से दादी ने लाखों लोगों की जिंदगी में एक सकारात्मक संचार किया है।
सिंध प्रांत में 1916 में हुआ था जन्म
अविभाज्य भारत के हैदराबाद सिंध प्रांत (अब पाकिस्तान) में 1916 में जन्मी दादी जानकी ने मात्र चौथी कक्षा तक ही पढ़ाई की है। भक्ति भाव के संस्कार बचपन से ही मां-बाप से विरासत में मिले। साथ ही अपना जीवन समाज कल्याण, समाजसेवा और विश्व शांति के लिए अर्पण करने का साहसिक फैसला कर लिया। दादी जानकी ने माता-पिता की सहमति के बाद २१ वर्ष की आयु में आप ओम् मंडली (ब्रह्माकुमारी का पहले यही नाम था) से जुड़ गईं।
भारतीय संस्कृति के विदेश में रोपे बीज…
वर्ष 197० में दादी जानकी पहली बार विदेशी जमीं पर मानवीय मूल्यों का बीज रोपने के लिए निकलीं। दादी ने भले ही चौथी तक पढ़ाई की थी परन्तु प्यार, स्नेह, अपनापन और मूल्यों की भाषा ने विदेशी जमीं पर भारतीय संस्कृति को स्थापित कर दिया। धीरे-धीरे यह कारवां बढ़ता रहा। आज विश्वभर में लोग भारतीय आध्यात्म और राजयोग मेडिटेशन को दिनचर्या में शामिल कर जीवन को नई दिशा दे रहे हैं। आज भी दादी पूरे विश्व का चक्कर लगाती हैं। दादी अभी भी प्रात: ३ बजे उठ जाती हैं। राजयोग मेडिटेशन के साथ आध्यात्मिक मूल्यों का मंथन, लोगों से मिलना-जुलना आदि अपने तय समय पर ही करती हैं। इसके बाद दिन में कुछ आराम कर वापस सायंकालीन ध्यान मेडिटेशन और फिर रात्रि 10 बजे तक सो जाती हैं। करीब 10 से 12 घंटे तक आज ाी सेवा में संलग्न रहती हैं।

कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय अवार्ड से नवाजा गया
दादी को विदेश में सेवा के दौरान कई देशों में अंतरराष्ट्रीय अवार्ड से भी नवाजा गया है। इसके अलावा भारत में भी कई अवार्ड से पुरस्कृत किया गया। दादी उम्र के इस पड़ाव पर भी इतना ऊर्जावान हैं कि पिछले एक वर्ष में उन्होंने भारत सहित दुनिया के कई देशों का चक्कर लगाते हुए ५० हजार किमी की यात्रा तय की है। देश में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दादी जानकी को स्वच्छ भारत मिशन का ब्रांड एंबेसेडर भी नियुक्त किया है।
4600 केंद्र केवल महिलाओं द्वारा संचालित
बता दें कि ब्रह्माकुमारी विश्व की एकमात्र ऐसी संस्था है जो नारी शक्ति द्वारा संचालित है। संस्थान के विश्वभर में करीब 4600 केंद्र है इन केंद्रों का संचालन भी महिला सदस्यों द्वारा ही किया जाता है। संस्था में समर्पित 46 हजार से अधिक महिला सदस्य दादी जानकी को अभिभावक के रूप में देखते हैं।दादी के एक आह्नान पर संस्थान से जुड़े 12 लाख से अधिक भाई-बहनें जुट जाते हैं।
स्वच्छ भारत मिशन की ब्रांड एम्बेसेडर
ब्रह्माकुमारी की आध्यात्मिकता के अलावा पूरे विश्व में साफ-सफाई व स्वच्छता को लेकर भी विशेष पहचान रही है। देश में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दादी जानकी को स्वच्छ भारत मिशन का ब्रांड एंबेसेडर भी नियुक्त किया है। हाल ही में दादी के नेतृत्व में पूरे भारतवर्ष में विशेष स्वच्छता अभियान भी चलाए गए।
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