सिरोही. वह नाम से राजकुमार है। कभी कमठे में मजदूर था। अब जिंदगी की जंग लड़ रहा है। पहाड़ सा पांव लिए बैठा ही रहता है। इसकी दशा देखकर कर कोई भी नरमदिल इंसान विचलित हो सकता है। वह न चल सकता है और न ही हरकत कर सकता है। इस मजबूरी ने उसके 15 साल के बेटे की पढ़ाई छुड़ाकर मजदूरी में झोंक दिया है।
यह दर्दनाक कहानी है सिरोही के राधिका कॉलोनी निवासी 38 वर्षीय राजकुमार प्रजापत की। मूल रूप से वह रतनगढ़ चूरू का निवासी है लेकिन दो दशक से सिरोही में ही परिवार के साथ रहकर मजदूरी कर रहा था। अब दाएं पांव की जांघ की हड्डी के कैंसर ने उसकी जिंदगी को दोजख बना दिया है।
कमठे पर काम करने वाले राजकुमार की आठ साल पहले मजदूरी से लौटते हुए साइकिल से गिरने पर जांघ की हड्डी टूट गई। डॉक्टरों ने आपरेशन कर रॉड डाल दी। फिर जिन्दगी की गाड़ी जैसे-तैसे चलने लगी। करीब दो साल पूर्व उसकी जिंदगी में फिर दूसरा विकट मोड़ आया। राजकुमार के जिस पांव में आपरेशन कर रॉड डाली वह घुटनों से ऊपर सूजने लगा। राजकुमार ने फिर अस्पताल-दर-अस्पताल चक्कर काटने शुरू कर दिए। वह कभी सिरोही तो कभी उदयपुर तो कभी जोधपुर के अस्पताल गया। धीरे-धीरे सूजन ने हाथी के पांव सरीखी शक्ल ले ली। उसने जोधपुर में ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) में जांच करवाई तो बताया कि पांव में कैंसर है और अब इसका आपरेशन करवाना अत्यावश्यक है अन्यथा पांव कटवाना पड़ सकता है। यह सुनते ही राजकुमार के पांवों तले से जमीन खिसक गई। अब घर बैठ जाने से उसकी आय का जरिया ही बंद हो चुका है।
राजकुमार को सूझ नहीं रहा कि आखिर वह क्या करे? इलाज के लिए पैसा कहां से जुटाए? अब तक इलाज पर करीब आठ लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। इस बीच, उसके पंद्रह वर्षीय पुत्र को फीस जमा नहीं करवा पाने से प्राइवेट स्कूल से निकाल दिया गया। वह मजदूरी पर जाने लगा। दिनभर हाड़ तोड़ मजदूरी कर सौ-डेढ़ सौ रुपए लाता है तो चूल्हा जलता है। बेटे के अलावा चार बेटियां भी हैं। उसकी पत्नी राजूदेवी वेदना को छुपा नहीं पाती। वह कहती है, उसके पास गिरवी रखने को भी कुछ नहीं है। खेत-खलिहान या जेवरात आदि होते तो कहीं रहन रखकर पति का इलाज करवा लेते। भामाशाह योजना में नाम नहीं है। अब परिवार का पालन कैसे हो? घर में सात सदस्यों का खर्च कैसे चलाए? यह सोचकर दम्पती सिहर उठते हैं। पिछले कई दिनों से नींद नदारद है। दोनों गुमसुम बैठकर कई बार तो रात गुजार देते हैं। फिर भी राजूदेवी की उम्मीद अब भी कायम है कि जिला प्रशासन या फरिश्ते के रूप में कोई भामाशाह आकर उनकी मदद अवश्य करेगा।
यह दर्दनाक कहानी है सिरोही के राधिका कॉलोनी निवासी 38 वर्षीय राजकुमार प्रजापत की। मूल रूप से वह रतनगढ़ चूरू का निवासी है लेकिन दो दशक से सिरोही में ही परिवार के साथ रहकर मजदूरी कर रहा था। अब दाएं पांव की जांघ की हड्डी के कैंसर ने उसकी जिंदगी को दोजख बना दिया है।
कमठे पर काम करने वाले राजकुमार की आठ साल पहले मजदूरी से लौटते हुए साइकिल से गिरने पर जांघ की हड्डी टूट गई। डॉक्टरों ने आपरेशन कर रॉड डाल दी। फिर जिन्दगी की गाड़ी जैसे-तैसे चलने लगी। करीब दो साल पूर्व उसकी जिंदगी में फिर दूसरा विकट मोड़ आया। राजकुमार के जिस पांव में आपरेशन कर रॉड डाली वह घुटनों से ऊपर सूजने लगा। राजकुमार ने फिर अस्पताल-दर-अस्पताल चक्कर काटने शुरू कर दिए। वह कभी सिरोही तो कभी उदयपुर तो कभी जोधपुर के अस्पताल गया। धीरे-धीरे सूजन ने हाथी के पांव सरीखी शक्ल ले ली। उसने जोधपुर में ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) में जांच करवाई तो बताया कि पांव में कैंसर है और अब इसका आपरेशन करवाना अत्यावश्यक है अन्यथा पांव कटवाना पड़ सकता है। यह सुनते ही राजकुमार के पांवों तले से जमीन खिसक गई। अब घर बैठ जाने से उसकी आय का जरिया ही बंद हो चुका है।
राजकुमार को सूझ नहीं रहा कि आखिर वह क्या करे? इलाज के लिए पैसा कहां से जुटाए? अब तक इलाज पर करीब आठ लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। इस बीच, उसके पंद्रह वर्षीय पुत्र को फीस जमा नहीं करवा पाने से प्राइवेट स्कूल से निकाल दिया गया। वह मजदूरी पर जाने लगा। दिनभर हाड़ तोड़ मजदूरी कर सौ-डेढ़ सौ रुपए लाता है तो चूल्हा जलता है। बेटे के अलावा चार बेटियां भी हैं। उसकी पत्नी राजूदेवी वेदना को छुपा नहीं पाती। वह कहती है, उसके पास गिरवी रखने को भी कुछ नहीं है। खेत-खलिहान या जेवरात आदि होते तो कहीं रहन रखकर पति का इलाज करवा लेते। भामाशाह योजना में नाम नहीं है। अब परिवार का पालन कैसे हो? घर में सात सदस्यों का खर्च कैसे चलाए? यह सोचकर दम्पती सिहर उठते हैं। पिछले कई दिनों से नींद नदारद है। दोनों गुमसुम बैठकर कई बार तो रात गुजार देते हैं। फिर भी राजूदेवी की उम्मीद अब भी कायम है कि जिला प्रशासन या फरिश्ते के रूप में कोई भामाशाह आकर उनकी मदद अवश्य करेगा।
&राजकुमार अस्पताल आने में असमर्थ है इसलिए मानवता के रूप में घर गया था। जोधपुर एम्स की जांच रिपोर्ट में दाएं पैर की जांघ में हड्डी का कैंसर है जो काफी फैल गया है।
डॉ. नरेन्द्रसिंह सोलंकी, हड्डी रोग विशेषज्ञ, सिरोही
डॉ. नरेन्द्रसिंह सोलंकी, हड्डी रोग विशेषज्ञ, सिरोही