यह दोहरा हत्याकांड प्रदीप गोदारा के ही ऑफिस में हुआ था। याचिकाकर्ता भावना ने दावा किया कि जनवरी 2017 में दर्ज की गई एफआईआर के तहत जांच एजेंसी ने जानबूझकर पूरे मामले के मास्टरमाइंड गोदारा की भूमिका की कोई जांच नहीं की। उसने यह भी कहा कि पुलिस ने इस मामले में छोटू भट को मुख्य साजिशकर्ता के रूप में गिरफ्तार किया और शूटरों को भी गिरफ्तार किया लेकिन इस मामले में गोदारा की भूमिका की कोई जांच पड़ताल नहीं की गई।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि हमलावरों ने प्रदीप गोदारा के ऑफिस से निकलने के बाद ही गोलियां बरसाई और हत्याकांड को अंजाम दिया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जानबूझकर घटना से एक दिन पहले सीसीटीवी कैमरों के तार काट दिए गए। याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि गोदारा आपराधिक पृष्ठभूमि का व्यक्ति है और पहले भी 29 अप्रैल 2006 को हुए चांद सिंह हत्याकांड में लिप्त रहा है। याचिकाकर्ता ने कहा की पुलिस ने राजनीतिक संरक्षण के चलते गोदारा के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की।
मृतक अमित सहारण और उसकी बहन के बैंक अकाउंट के लेनदेन से हत्याकांड पर प्रकाश डाला जा सकता है क्योंकि इस पैसे का उपयोग 2015 में प्रदीप गोदारा के किन्नू वैक्सिंग प्लांट को लगाने में किया गया। दूसरे मृतक की पत्नी ने भी यही शिकायत दर्ज कराई थी। दोनों याचिकाओं को हाईकोर्ट ने शामिल किया था। पूरी बहस सुनने के बाद जस्टिस दया चैधरी ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश जारी कर दिए।