पिछले साल डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को सीबीआई कोर्ट द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद हुई हिंसा में दर्जनों लोगों की मौत हो गई थी। इस मुद्दे पर हरियाणा सरकार आज भी बंटी हुई है। कैबिनेट मंत्री अनिल विज जाट आरक्षण आंदोलन के मृतकों की तर्ज पर डेरा प्रकरण में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा तथा नौकरी प्रदान किए जाने की मांग मंत्रिमंडल की बैठक में उठा चुके हैं। यह मामला अभी भी सरकार के विचाराधीन है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इजराइल तथा लंदन के दौरे से वापस लौटने के बाद आज यहां पत्रकारों से बातचीत में बताया कि विदेश की धरती पर इस समय जाट आरक्षण आंदोलन को लेकर कोई चर्चा नहीं है। अलबत्ता उन्होंने स्वीकार किया कि पिछले साल डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की पंचकूला पेशी के दौरान हुए घटनाक्रम पर कई लोगों ने सवाल उठाए।
मुख्यमंत्री ने बताया कि विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों में यह चर्चा का विषय रहा है। दूसरी तरफ विदेशी अधिकारी तथा सरकारी प्रतिनिधि हरियाणा सरकार द्वारा बेहद कम समय में नियंत्रित की गई स्थिति को लेकर चर्चा करते रहे हैं। सीएम ने कहा कि अगर रामपाल की तरह राम रहीम को डेरा सच्चा सौदा से बाहर निकालने की प्रक्रिया हरियाणा सरकार को अपनानी पड़ती तो बहुत बड़ा जानी व माली नुकसान हो सकता था। सीएम ने कहा कि कई बार बड़े नुकसान को रोकने के लिए छोटे नुकसान को झेलना पड़ता है।
पिछले साल हुए घटनाक्रम में यह महत्वपूर्ण था कि सरकार ने कितने कम समय में पूरे घटनाक्रम पर काबू पाया और कितने बड़े नुकसान को होने से बचा लिया। राम रहीम के विरूद्ध सीबीआई कोर्ट में चल रहे साधुओं को नपुंसक बनाने तथा पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड के मामले में निकट भविष्य में आने वाले फैसले पर टिप्पणी करते हुए मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा कि सीबीआई कोर्ट का फैसला जब भी आए लेकिन हरियाणा सरकार तथा हरियाणा पुलिस हर आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। इस संबंध में पुलिस तथा सिविल प्रशासन प्रदेश की गतिविधियों तथा सीबीआई कोर्ट के प्रक्रिया पर नजर रखे हुए है।