पैदावार तो बम्पर, लेकिन पानी की खपत भी ज्यादा
करनाल, कैथल, जींद, कुरूक्षेत्र, अंबाला, यमुनानगर व सोनीपत आदि जिले ऐसे हैं जहां धान की पैदावार अधिक होती है। इनमें से कई जिलों में किसानों द्वारा ऐसी किस्मों की पैदावार की जाती है जो कम समय में अधिक पैदावार तो देती हैं, लेकिन पानी की खपत बहुत होती है। इस साल सरकार ने इस मामले में सख्ती करते हुए उन किसानों पर शिकंजा कस दिया है जो पंचायतों से जमीन पट्टे पर लेकर फसलों की पैदावार करते हैं। ऐसे किसानों द्वारा धान की रोपाई किए जाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी है।
विकास एवं पंचायत विभाग हरियाणा के प्रधान सचिव द्वारा उक्त सातों जिलों के उपायुक्तों, डीडीपीओ तथा बीडीपीओ के नाम जारी एक पत्र में कहा गया है कि हरियाणा के उपरोक्त सात जिलों के आठ ब्लाकों में पट्टे पर जमीन लेकर धान की पैदावार पर रोक लगा दी है। फील्ड अधिकारियों की यह जिम्मेदारी होगी कि वह अपने-अपने क्षेत्र का दौरा करके यह तय करें कि किसान धान की पैदावार न करें।
विपक्ष ने की निंदा, किसानों ने उठाई पुनर्विचार की मांग
हरियाणा सरकार के इस फैसले को ट्वीट के माध्यम से उजागर करने वाले अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इसे किसान विरोधी फैसला बताया है। सुरजेवाला ने कहा कि इस साल हरियाणा का किसान प्राकृतिक आपदाओं का शिकार रहा है। ऐसे में इस फैसले से किसानों को और नुकसान होगा। उधर, भारतीय किसान यूनियन के प्रधान गुरनाम सिंह चढूनी ने इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग करते हुए कहा कि ज्यादातर छोटे किसान जमीन पट्टे पर लेकर फसल पैदा करते हैं। किसान इस फसली चक्र से बाहर निकलना चाहता है, लेकिन सरकार पहले वैकल्पिक उपाय करें। उसके बाद इस तरह के फैसलों को लागू करवाए।
जहां लगी धान पर रोक, वहां पांच साल में ऐसे गिरा जलस्तर
जिला जलस्तर में गिरावट
अंबाला 4.58 मीटर
कैथल 5.67 मीटर
कुरूक्षेत्र 5.37 मीटर
पानीपत 4.40 मीटर
सोनीपत 2.08 मीटर
जींद 1.39 मीटर
करनाल 1.12 मीटर
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