डेरा प्रबन्धन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस बात की संभावना नहीं है कि डेरा प्रमुख का परिवार किसी राजनीतिक दल के पक्ष में मतदान के लिए निर्देश जारी करेगा। ज्यादातर डेरा भक्तों का राजनीतिक दलों से मोहभंग हो गया है। अगर उन्हें अपनी आत्मा की आवाज पर वोट डालने के लिए कहा जाएगा तब भी वो वोट नहीं डालेंगे। उधर सूत्रों का कहना है कि यदि मतदान का फैसला डेरा भक्तों पर ही छोडा जाता है तो यह भाजपा के लिए नुकसान देह होगा। डेरा प्रमुख की 25अगस्त 2017 को पंचकूला में गिरफ्तारी के दौरान हुई हिंसा में 39 लोग मारे गए थे। वे गुस्से में उबल रहे है।