सुरजेवाला ने यहां हरियाणा कांग्रेस भवन में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पिछले माह की वर्षा और ओलावृष्टि से 25 से 40 फीसदी तक फसल नष्ट हुई है। राज्य सरकार निजी बीमा कम्पनियों के फायदे के लिए इस खराबे की विशेष गिरदावरी भी नहीं करवा रही। खराबे के कारण एक एकड में 20 क्विंटल पैदा होने वाली कपास आठ क्विंटल रह गई। बाजरे का दाना काला पड गया है। उत्तरी हरियाणा में धान की 1121 और 1509 किस्में नष्ट हुई है। फसलें अभी तक जलमग्न है। पहली बार ओलों से हजारों एकड में गन्ने की फसल नष्ट हुई है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में धान और बाजरे की खरीद में भी घोटाला किया जा रहा है। धान का समर्थन मूल्य तो 1770 रूपए प्रति क्विंटल है लेकिन बाजार में 1575 रूपए प्रति क्विंटल ही भाव दिया जा रहा है। बाजारा समर्थन मूल्य 1950 रूपए प्रति क्विंटल के बजाय 1850 रूपए प्रति क्विंटल ही खरीदा जा रहा है। समर्थन मूल्य पर बाजरे की खरीद के लिए ऐसी शर्तें लागू कर दी गई हैं कि किसान द्वारा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना ही संभव नहीं हो रहा। किसान की जमीन यदि किसी और के नाम है,बैंक खाता व मोबाइल नम्बर किसी और के नाम है तो समर्थन मूल्य पर फसल बेचने के लिए पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन संभव नहीं है। प्रति एकड आठ क्विंटल से ज्यादा बाजारा समर्थन मूल्य पर न खरीदने की शर्त भी लागू कर दी गई है। इस कारण बाजरा 1300 और 1350 रूपए प्रति क्विंटल बेचा गया है।
सुरजेवाला ने कहा कि सरकार को हरियाणा के किसान को हुई क्षति के मद्येनजर गन्ने की फसल का मुआवजा 50 हजार रूपए प्रति एकड और धान व कपास की फसल के लिए 30 हजार रूपए प्रति एकड मुआवजा दिया जाए। उन्होंने कहा कि पिछले 53 माह में डीजल और खाद के भाव बेतहाशा बढे है। किसान पर बोझ बढा है। उन्होंने कहा कि वे प्रदेश की खट्टर सरकार से पांच सवाल पूछ रहे हैं कि खट्टर सरकार स्पेशल गिरदावरी करवाकर गन्ना,कपास,धान व बाजरे की फसल का मुआवजा कब देगी,क्या निजी बीमा कम्पनियों के फायदे के लिए स्पेशल गिरदावरी नहीं करवाई जा रही,समर्थन मूल्य से 150 रूपए कम पर धान की खरीद का जिम्मेदार कौन है और क्या इसकी जांच करवाई जाएगी,बाजरे की खरीद में समर्थन मूल्य से 600 से 650 रूपए कम दिए जा रहे है और क्या इस धांधली की जांच कराई जायेगी और किसानों को डीजल व खाद की कीमतों पर राहत देने के लिए क्या कदम उठाए जायेंगे?