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नैमिषारण्य से 84 कोसी परिक्रमा शुरू, सुरक्षा के कड़े इंतजाम

locationसीतापुरPublished: Feb 24, 2020 06:22:19 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

उत्तर भारत का पौराणिक चौरासी कोषीय परिक्रमा 24 फरवरी को नैमिषारण्य से शुरू हो गया

नैमिषारण्य से 84 कोसी परिक्रमा शुरू, सुरक्षा के कड़े इंतजाम

नैमिषारण्य से 84 कोसी परिक्रमा शुरू, सुरक्षा के कड़े इंतजाम

सीतापुर. उत्तर भारत का पौराणिक चौरासी कोषीय परिक्रमा 24 फरवरी को नैमिषारण्य से शुरू हो गया। इस परिक्रमा मेले में तकरीबन एक लाख से अधिक श्रद्धालु हिस्सा ले रहे हैं। चक्रतीर्थ में स्नान करने के बाद गगनभेदी जयकारे लगाते हुए रामादल ने पहले पड़ाव कोरौना के लिए प्रस्थान किया। यह चौरासी कोसीय परिक्रमा सीतापुर हरदोई होते हुए वापस सीतापुर आकर होलीका दहन के साथ मिश्रिख चक्रतीर्थ पर आकर समाप्त होगी।
चौरासी कोस की यह परिक्रमा सतयुग काल से होती आ रही है। मान्यता है कि देवासुर संग्राम में देवताओं की जीत सुनिश्चित करने के लिए महर्षि दधीचि ने अपनी अस्थियों का दान करने से पहले यह परिक्रमा की थी। तत्पश्चात भगवान राम ने भी इस परिक्रमा का अनुशरण किया था। भगवान राम की अगुवाई के कारण परिक्रमार्थियों को रामदल के नाम से भी पुकारा जाता है। इस परिक्रमा में भारत के कोने-कोने से लोग शामिल होने के लिए आते हैं और होलिका दहन के साथ इस परिक्रमा के पूर्ण होने पर वापस अपने वतन रवाना हो जाते हैं।
श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
परिक्रमा के महत्त्व और भीड़ के मद्देनजर प्रशासन ने भी तमाम बंदोबस्त किये हैं। जिला प्रशासन के मुताबिक इस परिक्रमा मेले में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए एक प्लाटून पीएसी समेत सैकड़ों कॉन्स्टेबल और दरोगाओं की तैनाती की गयी है। यह व्यवस्था होलिका दहन तक चलती रहेगी। डीएम का कहना है कि इस मेले की सुरक्षा व्यवस्था के लिए प्रत्येक पड़ाव पर अस्थाई चौकियां भी बनाई गई हैं, ताकि श्रद्धालुओं को दिक्कतों का सामना न करना पड़े।
लाखों श्रद्धालु करते हैं परिक्रमा
इस चौरासी कोसीय परिक्रमा में भले ही लाखों की तादात में दूर-दराज आये श्रद्धालु शामिल होते हैं। लेकिन विडम्बना यह है कि कुम्भ या इस तरह के दूसरे मेलों की तरह इस मेले के लिए सरकार द्वारा कुछ विशेष सुविधाएं नहीं उपलब्ध करायी जातीं। अगर परिक्रमा के पौराणिक महत्त्व को देखते हुए सुविधायें बढ़ा दी जाएं तो परिक्रमा के साथ ही 88 हजार ऋषियों की तपोभूमि नैमिषारण्य का भी कायाकल्प हो सकता है।
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