सूत्रों की मानें तो लहरपुर अस्पताल में दो फार्मासिस्ट तैनात हैं। एक फार्मासिस्ट हज यात्रा पर गया है और दूसरा दो दिन से छुट्टी पर है, जबकि अस्पताल में ऑक्सिजन सिलेंडर मौजूद था, लेकिन सिलेंडर लगाने वाला सक्षम व्यक्ति मौजूद नहीं था। मृतक बच्ची के परिजनों की मानें तो इलाज के मामले में भी जिले का यह अस्पताल पूरी तरह फेल है और मरीजों को किसी की भी कोई फ्रिक्र नहीं है। परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि डॉक्टरों द्वारा भी गंभीरता से उसी का इलाज किया जाता है, जो उनसे उनके आवास पर अलग से मिलता है। वहीं इस मामले में सीतापुर सीएमओ डॉ, ध्रुव नारायण सिंह का कहना है कि वे मामले में जांच कराएंगे। उन्होंने कहा कि इस मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा उस पर कार्रवाई की जाएगी।
गोरखपुर कांड की ठंडी नहीं हुई आंच कि एक और मामले ने बढ़ाया सियासी पारा
सूबे की योगी सरकार गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन न मिलने से हुई ६० से अधिक बच्चों की मौत के मामले में लगातार घिरती जा रही है। विपक्ष से लेकर मीडिया और आम जनमानस में सरकार के कामकाज और उनके मंत्रियों और अधिकारियों के बयानों को लेकर काफी किरकिरी हो रही है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि गोरखपुर, लहरपुर के अलावा सूबे के और कौन-कौन से अस्पताल हैं, जहां ऑक्सीजन की मौजूदगी नहीं है और वहां जिंदगियां मौत से जूझ सकती हैं।