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सीतापुर

CRM REPORT: मेडिकल सेवाओं में सूबे में सबसे नीचे सीतापुर, जालौन अव्वल

वर्ल्ड हेल्थ मिशन और एनआरएचएम सरीखी तमाम स्वास्थ्य सेवाओं पर करोड़ों रुपया खर्च कर रही केन्द्र सरकार ने जब अपनी टीम से उत्तर प्रदेश का सर्वेक्षण कराया तो बेहद हैरतअंगेज कारनामे सामने आये हैं।

सीतापुरOct 24, 2015 / 09:03 am

यूपी ऑनलाइन

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हिमांशु पुरी
सीतापुर.
यूपी में स्वास्थ्य सेवाओं को मरीजों तक पहुंचाने और योजनाओं के क्रियान्वयन में जालौन सबसे टॉप पर है। वहीं, राजधानी से महज 90 किलोमीटर दूर सीतापुर मरीजों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने में सबसे निचले पायदान पर है। यह खुलासा केंद्र की ओर से किए गए सर्वेक्षण में सामने आया है।

सूबे में स्वास्थ्य सेवाओं को मरीजों तक पहुंचाने और योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर केन्द्र की ओर से कराए गए सर्वेक्षण में जहां एक ओर जालौन को सबसे बेहतर स्थान प्राप्त हुआ है। वहीं, चौंकाने वाली बात यह है कि सूबे की राजधानी से महज 90 किलोमीटर दूर सीतापुर जिला स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में निचले पायदान पर जा पहुंचा है।

वर्ल्ड हेल्थ मिशन और एनआरएचएम सरीखी तमाम स्वास्थ्य सेवाओं पर करोड़ों रुपया खर्च कर रही केन्द्र सरकार ने जब अपनी टीम से उत्तर प्रदेश का सर्वेक्षण कराया तो बेहद हैरतअंगेज कारनामे सामने आये हैं।

जानकारी के मुताबिक, कॉमन रिवियू मिशन के नौंवे सर्वेक्षण में सीतापुर में स्वास्थ्य सेवाओं में हालात बेहद नाजुक है। यूं कहें कि सीतापुर के स्वास्थ्य महकमे को अब सबसे पहले बेहतर इलाज की जरूरत है तो गलत न होगा। दरअसल कॉमन रिवियू मिशन (सीआरएम) की ओर कराये गये सर्वे के बाद से सीतापुर सहित सूबे के सभी स्वास्थ्य अधिकारियों में हड़कंप सा मच गया है। लिहाजा लखनऊ के तमाम अधिकारियों की टीम पिछले कई दिनों से सीतापुर में ही ठहरी हुयी हैं।

सूत्रों की मानें तो आगामी 2 नवम्बर से 6 नवम्बर तक सीतापुर में सर्वेक्षण के लिये आने वाली सीआरएम टीम की ओर से गिरने वाली गाज से बचने के लिये हर कोई अब जद्दोजहद में लगा हुआ है। सूत्र बताते हैं कि महिलाओं के प्रसव, परिवार कल्याण की योजनायें, शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर, सर्जिकल उत्पादों व दवाओं की खरीद सम्बंधित पत्रावलियों की जांच भी टीम के द्वारा की जायेगी।

दरअसल, सीआरएम टीम के सीतापुर में आने की खबर ने समूचे जनपद के स्वास्थ्य महकमे को हिला सा रख दिया है। इस बावत लगातार गड़बड़ियों में सुधार की कोशिशें तेज कर दी गई हैं। सूत्र यहां तक बताते हैं कि टीम के आगमन के डर से महकमे में कागजों से लेकर इंफ्रास्टक्चर तक में भी खासा बदलाव किया जा रहा है। ऐसे में कागजों को सुधार कर टीम के सामने पेश कर घपले घोटालों से बचने की पूरी कोशिशें भी की जा रही हैं।

तेजी से बदली जा रही अस्पतालों व सीएमओ ऑफिस की सूरत
केन्द्र की सीआरएम टीम के आने से पहले की इस कदर सीएमओ कार्यालय और जिले भर के अस्पतालों की सूरेतहाल बदला जा रहा मानों कोई दुल्हन शादी के लिये तैयार की जा रही हो। जहां एक ओर सीएमओ कार्यालय में कुछ माह पूर्व बनी सड़क जल्द खराब हो जाने के दोबारा से बनायी जा रही है। वहीं, सूत्रों की मानें तो दूसरी ओर जिले के सभी अस्पतालों में साफ सफाई, पुताई, फर्नीचर उपकरण, सर्जिकल सामान आदि तमाम और वस्तुयें नए सिरे से अलग-अलग मदों के बजट से व्यवस्थित की जा रही हैं।

सीतापुर की खराब दशा पर बिफरे सचिव व मिशन निदेशक

सर्वे रिपोर्ट में सीतापुर की हालत खराब होने से स्वास्थ्य के उच्चाधिकारियों में खासा नाराजगी बनी हुयी है और इसका खुलासा प्रमुख सचिव स्वास्थ्य व मिशन निदेशक की बैठक में जनपद के सभी स्वास्थ्य अधीक्षकों के समक्ष तब हुआ जब अधिकारियों ने सभी अधीक्षकों पर जमकर भड़ास निकाली और सख्त कार्यवाही किये जाने के संकेत भी साफ कर दिये।

सीतापुर के प्रत्येक अस्पताल को मिलते हैं वर्ष में 15 लाख तो गड़बड़ी कैसे?
जननी सुरक्षा योजना में प्रत्येक अस्पताल को मिलने वाले वर्ष में 5 लाख रुपये और प्रशासनिक व्यय व रोगी कल्याण समिति के नाम के नाम पर मिलने वाले प्रति वर्ष 10 लाख रुपये की रकम को मिलाकर देखें तो कुल 15 लाख प्रति वर्ष प्रति अस्पताल पर महज इन तीन योजनाओं के तहत की खर्च किये जाते हैं और बावजूद इसके गड़बड़ी इतनी बड़ी की हालात अंतिम पायदान पर जा पहुंचे, निश्चित ही किसी बड़े घोटाले के संकेतों को साफ करता है।
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