दीपावली से दो दिन पहले पड़ने वाले धनतेरस त्योहार से ही चमक दमक का बाजार काफी गर्म हो जाता है। सरकारी दफ्तरों से लगाकर काफी कुछ कामकाज ठप हो जाता है और सिर्फ लोगों को बाजारों में देखा जाता है। वहीं इस बार सीतापुर में बाजार पूरी तरह महंगाई की मार, जीएसटी की रस्सा कसी और नोटबंदी के प्रभाव से पूरी तरह ग्रसित है। व्यापारियों की माने तो ऐसे ही महंगाई काफी है और उसपर मिट्टी के उत्पादों से लगाकर भगवान की मूर्तियां, एस्टिल के बर्तन आदि सभी का बाजार भाव मजदूरी सहित अन्य वजहों से काफी ज्यादा है। लिहाजा लोग बाजारों में घूम तो रहे हैं, लेकिन ताबड़तोड़ खरीददारी नहीं कर पा रहे हैं।
बर्तन के व्यापारी मनीष ने बताया कि इस बार बर्तन पहले से काफी महंगे हैं। लोग उस तरह खुलकर बर्तनों की ख़रीददारी नहीं कर रहे हैं। बाजार में उस तरह की भीड़ नहीं है। मनीष की माने तो हमेशा की तरह काफी रुपयों का माल खरीदकर लगाया गया था लेकिन इस बार काफी घाटा नजर आ रहा है।
धनतेरस त्यौहार पर सबसे अधिक भगवान् गणेश और लक्ष्मी जी महत्त्व है और लोगों द्वारा इन्ही की पूजा अर्चना की जाती है। भगवानों की मूर्तियों और पटाखों का कारोबार कर रहे राकेश जायसवाल ने बताया कि बाजारों में महंगाई के कारण उम्मीद के मुताबिक रौनक नहीं है। लिहाजा हालात काफी उलट हैं। बाजार काफी ठंडा है और लोगों में खरीददारी को लेकर जबर्दस्त उत्साह नहीं है।
मिट्टी के दिये और खिलौने बनाकर बेच रहे लोगों ने बताया कि बहुत नुकसान हो गया है और इन महँगाई में दिए काफी महंगे बनते हैं लेकिन बिक्री बिलकुल नहीं हैं। यहां हमने लाइन से लगी कई दुकानों पर सन्नाटा देखा जो खुद ब खुद बिगड़े हालात बयां कर रहे थे।
कुल मिलाकर मोदी सरकार की नीतियां इस त्यौहार पर पूरी तरह बम की तरह फंटी हैं और इससे आम आदमी खासा प्रभावित दिख रहा है। लोगों की माने तो बढ़ती महंगाई ने हालात बदल कर रख दिए हैं।