मुश्किल में अंसारी मतदाता दरअसल सीतापुर के खैराबाद कस्बे में जुबेर अंसारी भाजपा से, शकील अंसारी बसपा से, जलीस अंसारी सपा से और हनीफ अंसारी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चेयरमैन पद के लिए चुनाव में हैं। जातिगत आंकड़ों के लिहाज से इस कस्बे में अंसारी मतदाता काफी अधिक हैं और ऐसे में चार- चार अंसारियों का ही मैदान में उतर जाना निश्चित तौर पर पूरे के पूरे अंसारी समाज पर बेहद दबाव बनाने वाला है। एक तरफ जहां जलीस अंसारी दरी के एक्सपोर्ट का बड़ा व्यापार करते हैं और पिछले कई वर्षों में तमाम चुनावों में अपनी जोर आजमाइश कर चुके हैं तो वहीं भाजपा के जुबेर अंसारी एक एनजीओ का संचालन करते हैं। लोगों की मानें तो जुबेर अंसारी की एनजीओ की तरफ से पिछले काफी वक्त में हजारों लोगों को कंबल बांटे गए हैं और यह उनकी चुनावी पारी बनने की एक बड़ी वजह भी है। उधर बसपा के शकील अंसारी पेशे से अधिवक्ता हैं तो पूर्व में चेयरमैन रह चुके हनीफ अंसारी अपने पुराने कामों पर पालिका चुनाव की रेस में खुद को सबसे आगे समझ रहे हैं। गर फिलहाल चार मुस्लिम प्रत्याशियों के बीच खैराबाद पालिका चुनाव की रार काफी जबर्दस्त तो मालूम दे रही है लेकिन हिन्दू मतदाताओं की रणनीति कुछ साफ नहीं हो सकी है।
24 हजार मुस्लिम तो 14 हजार हैं हिन्दू मतदाता खैराबाद नगरपालिका के मतदाताओं के आंकड़ों पर बात करें तो यहां 24 हज़ार मुस्लिम मतदाता हैं और इनमें 18 हजार अंसारी हैं। जिनको लेकर यहां लड़ाई बेहद दिलचस्प है। साथ ही अंसारियों के इस कस्बे के सबसे पसंदीदा नेता का भी चुनाव इसी चुनाव में साफ़ हो जायेगा। इसके अलावा हिन्दू मतदाताओं की संख्या करीब 14 हज़ार के आस पास है और इनमें 4 हजार एससी कोटे के मतदाता हैं। जाहिर है बसपा ने इन्ही आंकड़ों को देखते हुए यहां शकील अंसारी को अपना प्रत्याशी बनाया है।