सीतापुर

वसूली के आरोप पर 36 घंटे बाद भी नहीं हटा चौकी इंचार्ज, भाजपा विधायक ने खोला था मोर्चा

वसूली के आरोप पर 36 घंटे बाद भी नहीं हटा चौकी इंचार्ज, भाजपा विधायक ने खोला था मोर्चा

सीतापुरSep 22, 2017 / 11:41 am

Ruchi Sharma

UP Police

सीतापुर. पुलिस अधीक्षक सीतापुर को इन दिनों अपने विभाग की कमी कहीं भी नजर नहीं आ रही है। फिर चाहे मामले कितने भी मीडिया में प्रकाश में आये हैं या फिर भाजपा के विधायकों की शिकायत के बाद हंगामे के रूप में दिखाई दिए हों। तमाम जद्दोजहद और नाकामी के बावजूद पुलिस विभाग के आलाहाकिम सिर्फ मनमर्जी चलाते नजर आ रहे हैं। ताजा प्रकरण की बात करें तो 48 घंटे के भीतर ही एक दारोगा पर लगे वसूली के आरोप के बावजूद भी एसपी ने अबतक उसका तबादला नहीं किया। यही नहीं इस मामले में खुद भाजपा विधायक ने मोर्चा खोला था।
सूबे की योगी सरकार अब नौकरशाही के आधीन होती नजर आने लगी है। सदन के बाहर सिर्फ नौकरशाहों की बात चलती दिख रही है और इसका आलम यह है कि खासकर पुलिस महकमा पूरी तरह से बेलगाम होता नजर आने लगा है।

दरअसल पिछले दिनों सीतापुर शहर में एक चौकी इंचार्ज मंडी चौकी पर ठेले वालों से अवैध वसूली का आरोप तब लगा जब वसूली की रकम चुकता न कर पाने के कारण पुलिस ने एक ठेले वाले की जमकर पिटाई कर दी। जिसके बाद लोगों ने इस बात की शिकायत शहर विधायक राकेश राठौर से की तो विधायक अपने समर्थकों सहित चौकी पहुंच गये।
इस दौरान वहां तमाम अन्य ठेले वालों ने विधायक की मौजूदगी के दौरान पुलिस पर अवैध वसूली के गंभीर आरोप लगाए। लिहाजा मौके पर भारी भीड़ को देखते हुए कोतवाली की और पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। विधायक ने तत्काल चौकी प्रभारी को चौकी के हटाने की मांग की तो शहर कोतवाल धर्मेंद्र रघुवंशी ने उनको हटाने का आश्वासन तो दे दिया ताकि लोग शांत होकर जा सकें, लेकिन हकीकत में 36 घंटे बीतने के बाद भी चौकी इंचार्ज नहीं हटाया गया और कहीं न कहीं फिर से वसूली के लिए तैनात कर दिया गया।
हंगामे के बाद सीतापुर में क्यों नहीं हटाया जाता पुलिसकर्मी

बीते कई महिनों से यह देखा जा रहा है कि तमाम हंगामे और मीडिया में हो रहे पुलिस खुलासे के बावजूद उस पुलिसकर्मी पर एसपी सीतापुर कार्रवाई नहीं करते। इस बात को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं गर्म हैं। सवाल इस बात का भी है कि कहीं यह लोकतंत्र में तानाशाही का एक नया उदाहरण तो नहीं।
भाजपा विधायक महसूस कर रहे छला

आधिकारिक तंत्र ? में कोई खास सुनवाई न होने पर अब भाजपा के बहुत से विधायक खुद को कोसते नजर आ रहे हैं। कहीं भाजपा विधायक धरने पर बैठ कर अपनी बात मनवा रहे तो कहीं भूख हड़ताल करके। आलम यह है कि अब इनको 2022 में अपने लिए खतरा महसूस होने लगा है।

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