रायसेन. अर्जुन नगर में आयोजित श्रीमद् भागवत् कथा के अंतिम दिन सोमवार को कथा वाचक डा. अमृता करुणेश्वरी ने कृष्ण रुकमणी विवाह की कथा का सुंदर वर्णन किया। साथ ही सुदामा चरित्र का भावपूर्ण वर्णन किया। भागवत के 12 स्कंदों को संक्षिपत में समझाया।
रुकमणी विवाह की कथा कहते हुए डा करुणेश्वरी ने कहा कि श्रीकृष्ण और रुकमणी जी का विवाह साधारण स्त्री पुरुष का मिलन नहीं है, ये विशुद्ध आत्मा का परमात्मा से मिलन है। सुदामा चरित्र की कथा को विस्तार से कहते हुए कहा कि जीव जब स्वयं परमात्मा की शरण में जाता है तब परमात्मा उसकी सहायता अवश्य करते हैं। संकट के समय भी धर्म नहीं छोङऩा चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें संकट के समय का डट कर सामना करना चाहिए। यदि हम ऐसा कर पाए तो मानव देह प्राप्ती का सद उपाय हो गया।