सीतापुर के सिविल लाइन निवासी दाल व्यवसायी सुनील जायसवाल की उनकी पत्नी और बेटे समेत बीती 6 जून को लूट के दौरान हत्या कर दी गयी थी। जिसके बाद से शहर के तमाम वर्गों की तरफ से सीबीआई की जाँच की मांग तक की गयी लेकिन योगी सरकार ने न ही इसकी घोषणा की और न किसी बड़ी जाँच एजेंसी को सीतापुर तिहरे हत्याकांड की जाँच की जिम्मेदारी सौंपी। सरकार सीतापुर पुलिस पर ही भरोसा करती रही जबकि यहां की पुलिस आज दो माह से अधिक वक्त बीत जाने के बाद भी एक शरीफ नाम के अपराधी को ही गिरफ्तार कर सकी। जबकि दूसरे अभियुक्त सूरज यादव ने न्यायलय ने खुद ही समर्पण किया था।
वहीं ट्रिपल मर्डर मामले में फरार चल रहे अभियुक्त लाले व जन्नू पर सीतापुर पुलिस ने 12-12 हजार का रेंज स्तर का पुरस्कार घोषित किया है, जो सीतापुर पुलिस की गंभीरता और कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े करता है। लाखों की लूट के इस ट्रिपल मर्डर के आरोपियों पर पुलिस द्वारा इस छोटी रकम को इनाम के रूप पर घोषित करना महज मामले को और लचर बनाने का हिस्सा मात्र है।
पुलिस के दावे अन्य कई मामलों में भी खोखले
सिर्फ ट्रिपल मर्डर ही नहीं बल्कि अन्य कई मामलों में भी सीतापुर पुलिस हवाहवाई दावे करती नजर आयी और यह दावे कुछ दिनों में ही खोखले साबित नजर आने लगे। कुछ और मामलों की फेरहिस्त पर गौर करें जहां सीतापुर पुलिस सिर्फ खाक छानती नजर आयी, वह यह हैं।
1- सीतापुर जिले का हरगांव अपहरण कांड
2- सीतापुर जिले का लहरपुर महिला लूट कांड
3- सीतापुर जिले के खैराबाद का युवती का बलात्कार कर हत्या का मामला
4- सीतापुर जिले के महोली का दंपति हत्या कांड
5- इनके अलावा हत्या, लूट और रेप के कई दर्जन कांड में पुलिस के हाथ खाली हैं।