चीन की राह पर नेपाल
नेपाल भी चीन के नक्शे कदम पर चलने की कोशिश कर रहा है। (Nepal following China foot mark ) नक्शे भारतीय क्षेत्र पर दावा करने के बाद नेपाल ने एक नया पैतरा चला है। नेपाल के रौतहट जिला प्रशासन ने बंजरहा के पास भारतीय सीमा में नो मेंस लैंड से सटे हुए लालबकेया नदी के तटबंध के एक हिस्से को हटाने अन्यथा इसे तोडऩे की चेतावनी दी है। नेपाल का दावा है कि बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग ने दो मीटर चौड़ा और 200 मीटर लंबा तटबंध नो-मेंस लैंड को अतिक्रमित कर बनाया है। नेपाल ने कहा है कि इसे हटाया नहीं गया तो इसे तोड़ कर हटा देंगे। इधर खतरा इस बात का है कि बरसात के इस मौसम में अगर तटबंध को हटाया गया, तो इलाके के लोगों को बाढ़ से जान-माल का भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
बन चुकी है सहमति
दोनों देशों के सुरक्षाकर्मियों व अधिकारियों की उपस्थिति में नो-मेंस लैंड को अतिक्रमण कर बागमती तटबंध बनाने की पुष्टि के बाद नो-मेंस लैंड को खाली करने पर सहमति बनी है। नो-मेंस लैंड के बीच में बने पिलर से 9.1 मीटर उत्तर व दक्षिण अर्थात 18.2 मीटर नो-मेंस लैंड की जमीन पहले से ही निर्धारित है।
नेपाल कर रहा अतिक्रमण
नेपाल खुद अतिक्रमण कर रहा है और आरोप भारत पर थोप रहा है। रौतहट के सीडीओ (डीएम) वासुदेव घिमिरे ने कहा है कि दोनों देशों की भू-मापक टीम द्वारा की गयी पैमाइश में पाया गया है कि बॉर्डर पिलर संख्या 346/5 से पिलर संख्या 346/7 के बीच 11 स्थानों पर पिलर बनाया गया है। मापी में पाया गया है कि बांध को कहीं दो मीटर तो कहीं एक मीटर नो-मेंस लैंड को अतिक्रमित कर बनाया गया है।
कोई निर्देश नहीं
गौरतलब है कि अधवारा समूह की लालबकेया नदी का यह वही तटबंध है, जिसकी मरम्मत को नेपाल के सुरक्षाकर्मियों ने पिछले दिनों रोक दिया था. बागमती प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता जमील अनवर ने बताया कि तटबंध हटाने का ऐसा कोई निर्देश उन्हें नहीं मिला है। अभी वह बाढ़ व कटाव निरोधक कार्य में लगे हैं। उन्हें किसी तरह की मापी किये जाने की जानकारी नहीं है।
बांध हटाने की धमकी
नो-मेंस लैंड की जमीन पर कोई निर्माण कार्य नहीं होना है। इसके बावजूद भी वहां तटबंध बना दिया गया है। रौतहट डीएम ने यहां तक कह दिया कि नो-मेंस लैंड पर बने बांध को हटाने पर दोनों देशों के अधिकारियों के बीच सहमति बन गयी है। इसके बावजूद भी बांध को नहीं हटाया गया, तो नेपाल सरकार स्वयं बांध हटा देगी।
नेपाल ने की थी फायरिंग
गौरतलब है कि पिछले दिनों नेपाल सेना ने भारतीय क्षेत्र में फायरिंग की थी, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए थे। जानकारों का कहना है कि नेपाल की अदरुनी राजनीति के कारण भारत का विरोध करके राजनीतिक दल अपना जनाधार मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं। नेपाल अंदरुनी समस्याओं से बुरी तरह घिरा हुआ है। इन समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए नेपाल सरकार भारत को उकसान की कार्रवाई में लगी हुई है।