बीरबल सहनी इंस्टीट्यूट के भू वैज्ञानिक मुकुंद शर्मा नेतृत्व में बीएचयू के शोधार्थियों दिव्या सिंह और प्रदुमन सिंह की टीम ने डाला बॉडी की पहाड़ियों में 174 करोड़ों वर्ष से भी अधिक पुराने जीवाश्म के खोजने का दावा किया है। बता दें कि 3 वैज्ञानिकों की टीम बीते 25 जनवरी से सोनभद्र में रहकर शोध कर रही है। वैज्ञानिकों का दावा है पहाड़ियों की तीन लेयरो के बीच में गहरे लाल रंग के निशान के रूप में जीवाश्म मौजूद है।
शोध के बाद शोध पत्र विभिन्न जर्नल्स में प्रकाशित किए जाएंगे। ये जीवाश्म उस समय के जंतुओं के संभावित हैं जब धरती पर मानव जीवन का अस्तित्व नहीं था। इस बारे में अभी और शोध की आवश्यकता है जिसके लिए यहां से वैज्ञानिकों ने यहां से 40 से अधिक नमूने भी एकत्रित किये हैं। खोजे गए जीवाश्म की खासियत ये है कि जब मनुष्य का अस्तित्व इस पृथ्वी पर नहीं था। तब इस जगह पर केवल पेड़-पौधे और जानवर ही यहां रहते थे। ऐसे में इस बात का दावा किया जा रहा है कि यहां मिला जीवाश्म अब तक का सबसे पुराना जीवाश्म हो सकता है।
सलखन क्षेत्र में पहले से ही मौजूद है फासिल्स पार्क
सोनभद्र के सलखन इलाके में पहले से ही काफी संख्या में वनस्पतियों के फॉसिल्स से मौजूद हैं जो प्रशासन द्वारा संरक्षित किए गए हैं। इस जीवाश्म स्थल को फासिल्स पार्क नाम दिया गया है। यह फासिल्स भी लगभग 160 करोड़ वर्ष पुराने बताए जाते हैं। सरकार और जिला प्रशासन द्वारा इस पार से उस पार को पर्यटन के नक्शे पर लाने का प्रयास भी किया जा रहा है। अमेरिका के यलो स्टोन फॉसिल्स पार्क से भी पुराना फॉसिल्स पार्क सोनभद्र के सलखन में ही है, लेकिन अब इससे भी पुराना फॉसिल्स मिलने का दावा किया जा रहा है। सोनभद्र हमेशा से ही चर्चा में रहा है। इस जगह पर सोना मिलने और गैस के भण्डार होने का दावा किए जाने की वजह से ये जगह बार-बार सुर्खियों में छाया रहता है।