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कबाड़ी में बेच दी नौनिहालों की किताबें, अधिकारी बोले…

locationसोनभद्रPublished: Jan 24, 2018 11:57:15 pm

Submitted by:

Ashish Shukla

ठेले पर किताबो को ले जाते समय कबाड़ी को राहगीरों ने रोका

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जितेन्द्र कुमार…


सोनभद्र. सरकार बच्चों के लिए खूब पढ़ो, खूब बढ़ो जैसे स्लोगन देती है। पढाई के लिए परिषदीय स्कूलों के बच्चों को नि:शुल्क पुस्तकें भी उपलब्ध कराती है। लेकिन चंद रुपयों के लालची अधिकारी नौनिहालों के कल का आधार पुस्तकें उनतक पहुंचने से पहले ही बेच दे रहे हैं। किताबें, खाना, फल, कपड़े तक निःशुल्क देने का दावा धराशायी हो जाती है। इसी तरह का मामला सामने आया है जनपद में, जहां परिषदीय स्कूलों में बटनें वाली किताबों को कबाड़ी के हाथ चंद रुपयों के खातिर बेच दिया गया, जानकारी होने पर अधिकारियो ने किताबें अपने अंडर में ले ली और जाँच कर कार्रवाई की बात कह रहे हैं।

पिछड़ा, आदिवासी, वनवासी बाहुल्य नक्सल प्रभावित जनपद सोनभद्र में सरकारी व्यवस्थाएं किस तरह कार्य कर रही है इसकी एक बानगी तब देखने की मिली जब परिषदीय विद्यालयों में निःशुल्क वितरित करने के लिए सरकारी किताबों को एक ठेले पर लाद कर कबाड़ी वाले को राहगीरों ने ले जाते हुए देखा, उत्सुकतावस राहगीरों ने पूछ लिया कि सरकारी किताब कहाँ लेकर जा रहे हो ततपश्चात जो जवाब मिला उसे सुनकर आप भी दंग रह जायेंगे, राजन नाम के कबाड़ी ने बोला की उसने ये सब तीन सौ रूपये में ख़रीदा है। सरकार चाहे कितनी महत्वाकांक्षी योजनाए चलाए लेकिन अगर जरूरत मंदो तक योजनाएं न पहुँच सके तो योजनाएं स्वतः ध्वस्त हो जाती है। इसी प्रकार का एक मामला चोपन ब्लाक के ओबरा नगर में सर्वशिक्षा अभियान से जुड़ा सामने आया है। उ0 प्र0 सरकार द्वारा बच्चों को बाटी जाने वाली निःशुल्क हजारो किताबो को किसी अध्यापक ने कबाड़ वाले के हाथ चंद तीन सौ रुपयों में बेचकर शर्मसार कर दिया। वही शिक्षा बिभाग के ही कुछ लोग घिनौनी हरकत कर सरकार के महत्वाकांक्षी योजनाओं पर पानी फेरने में लगे हुए है। वही इस मामले की सूचना पाकर शिक्षा विभाग के कुछ लोग मौके पर आकर बिकी हुई पुस्तको को ले जाकर श्रवण कुमार ब्लाक संसाधन केंद्र प्रभारी ने चोपन कार्यलय में सुरक्षित रख लिया है।
बतातें चलें कि ये सभी किताबें पिछले सत्र 2016-17 की हैं जिनमे कक्षा एक, दो, तीन चार व कक्षा पांच की किताबें शामिल है। अब सवाल उठता है कि बच्चों के भविष्य के लिए ज्ञान रूपी ये किताबे किस कारणवश नहीं बाटीं गई थीं।

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