इसी से जुड़ा एक नया मामला सामने आया है, डीएम ने जिले के सभी बालू साइडों को बंद करा दिया है। वजह बालू लोडिंग करने के लिए नदी से पोकलेन मशीन और नाव लगाकर बालू निकाला जा रहा था। जिससे जलीय जन्तुओ का अस्तित्व खतरे में आ गया। जिसको संज्ञान लेते हुए डीएम ने जिले के सभी बालू धारकों को नोटिस भेज बंद करा दिया है।
जिलाधिकारी प्रमोद कुमार उपाध्याय ने जिले के सभी उपजिलाधिकारियों, प्रभारी अधिकारी खनन व ज्येष्ठ खान अधिकारी को निर्देशित किया है कि, वे नियमानुसार ही खनन सम्बन्धी कार्यों को होने दें।उन्होंने बताया कि, जिले के बालू/मोरम खनन क्षेत्रों/स्थलों से बालू/मोरम निकालने और लादने में खनन अनुज्ञापत्र धारकों द्वारा अवैधानिक रूप से मशीनों के इस्तेमाल की शिकायतें लगातार प्राप्त हो रही हैं।
उपाध्याय ने मिल रही शिकायतों के मद्देनजर आदेशित किया है कि, जिले में किसी भी बालू/मोरम खनन स्थल/क्षेत्र से बालू/मोरम निकालने/लादने में किसी भी दशा मेंं मशीन को उपयोग न होने दें। मशीन का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबन्धित है। प्रमोद ने बताया कि, अतिरिक्त निजी काश्त की जमीन से बालू/मोरम निकालने के लिए कई काश्तकारों के आवेदन प्राप्त हो रहे हैं।
उन्होंने बालू/मोरम निकालने के लिए काश्तकारों के प्राप्त हो रहे आवेदन के सम्बन्ध में यह निर्देशित किया है कि, यह सुनिश्चित किया जाय कि जिस काश्तकार की जमीन नदी तल से दूर हों, उसी के सम्बन्ध में बालू/मोरम निकालने की संस्तुति की जाय। किसी भी हाल में ऐसी जमीन में किसी प्रकार के मशीन के इस्तेमाल हेतु अनुमति दिये जाने की संस्तुति न करें।
सूत्रों की माने तो सांसद छोटे लाल खरवार ने वन विभाग के चीफ कंजर्वेटर को पत्र लिख जलीय जन्तुओं के अस्तित्व पर सवाल खड़े किए थे, जिसको गम्भीरता से लेते हुए डीएम ने यह कार्रवाई की है।
input- जितेंद्र गुप्ता