सभी नगर निकाय चुनाव खत्म होते ही उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने जिस तरह बिजली की दरें बढ़ाकर घरेलू अर्थव्यवस्था पर चोट की है। उससे लोगों की कमर टूट गई है ग्रामीण क्षेत्रों और विशेषकर किसानों को मिलने वाली बिजली की दरों में अचानक हुई भीषण बढ़ोतरी भाजपा सरकार की जन विरोधी नीतियों का प्रदर्शक है। पूरे प्रदेश में लोग इसको लेकर आक्रोशित है। अतः समाजवादी पार्टी की मांग है कि, विद्युत दरों में वृद्धि को तत्काल वापस लिया जाए उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के विकास की दिशा में 9 माह में कोई कदम नहीं उठाया और बिजली व्यवस्था को बर्बाद करने में किसी प्रकार की कोर कसर नहीं छोड़ी।
वहीं प्रवक्ता/पूर्व विधायक अविनाश कुशवाहा ने कहा कि, नगरी निकाय चुनाव के ठीक बाद बिजली दरों में वृद्धि का प्रस्ताव भाजपा सरकार का अनैतिक आचरण है। किसी भी तरह इस प्रकार की कार्यवाही को उचित नहीं माना जाना चाहिए। क्योंकि इससे राजनीति में दोहरे चरित्र की मानसिकता और शासकीय साक्षरता को बढ़ावा मिलेगा।
भाजपा सरकार ने अपने जन कल्याण के तमाम वादों को ठुकराते हुए बिजली की वृद्धि ने ग्रामीण उपभोक्ता दरों में 63 से 150 फीसदी और किसानों के कार्यों की दरों में 50 फीसदी की वृद्धि कर दी है। ग्रामीण उपभोक्ता पहले ₹50 प्रतिकिलो वाट फिक्स चार्ज एवं ₹2:20 प्रतियुनिट के हिसाब से बिल चूकते थे। जबकि अब 80 रुपया प्रतिकीलोवट फिक्सचार्ज और 5:30 रुपया प्रतियुनिट बिजली बिल के हिसाब से भुगतान करना होगा। इसके साथ ही सरकार की गैस के दाम बढ़ोत्तरी, मिट्टी के तेल को बंद करना, चीनी को बंद करने जैसे जन विरोधी के मुद्दों को जनता के सामने रखा।
इस अवसर पर हिदायत उला, राम निहोर, प्रशांत, बबलू धांगर, रवि गौड़ बड़कू, महफूज खान समेत सैकड़ो कार्यकर्ता मौजूद थे। input- जितेंद्र गुप्ता