पीड़ित मां का आरोप है कि, 16 जनवरी 2014 को वाराणसी में जुड़वा बच्चियों को जन्म दिया जिन्हें आर्थिक तंगी के कारण एक बच्ची को उसके भाई ने ले लिया जिसे तीन साल बाद वह अपने बच्ची को भाई से मांगी तो वह देने से मनाकर दिया। जिसकी शिकायत उसने बभनी थाने में किया जो मामले को जिला बाल संरक्षण विभाग को सौप दिया। जिस पर बच्ची को वापस दिलाने के लिए जिला बाल संरक्षण अधिकारी द्वारा 30 हजार रुपए की मांग की जा रही थी।
वहीं जिला बाल संरक्षण अधिकारी का कहना है कि, जिला बाल संरक्षण समिति के द्वारा जो फैसला लिया जाएगा। उसी आधार पर बच्ची को किसी एक अभिभावक को सौंपा जाएगा और महिला द्वारा पैसा मांगने का जो आरोप लगाया जा रहा है, वह सरासर गलत आरोप है। जबकि जिला प्रशासन ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए जांच के बाद आई रिपोर्ट के आधार पर संविदा पद पर तैनात जिला बाल संरक्षण अधिकारी को पद से बर्खास्त कर दिया और मुकदमा दर्ज कराने का आदेश भी जारी किया है।
सोनभद्र के बभनी थाना कस्बे की महिला शिक्षिका ममता गुप्ता को 15 वर्ष बाद 16 जनवरी 2014 किसी प्रकार से दो जुड़वा बेटिया वाराणसी हॉस्पिटल में पैदा हुई। उनके पालन पोषण में किसी प्रकार की कमी न रह जाये इसे देखते हुए ममता ने एक बेटी को जन्म के समय ही उसके भाई ने ले लिया। जिसे वह तीन वर्ष बाद भाई से मांगने गयी तो वह देने से साफ इंकार कर दिया। बेटी को पाने की चाहत में उसने बभनी थाना और तहसील दिवस सहित प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास से न्याय की गुहार लगाई। जिला बाल कल्याण समिति के पास लम्बित इस मामले पर दोनों अभिभावकों के बीच समिति द्वारा समझौता कराने का प्रयास किया गया। जबकि महिला का आरोप है कि, जिला बाल संरक्षण अधिकारी द्वारा बच्ची को वापस दिलाने के लिए खर्चा वर्चा के नाम पर 30 हजार रुपये मांगा जाने लगा। ममता ने इसकी शिकायत कई बार जिलाधिकारी, उपजिलाधिकारी से लेकिन कोई करवाई नही हुई तो वह 15 मई को इसकी शिकायत प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास को पत्र लिखकर किया। पत्र आने के बाद जिलाधिकारी ने दो जून को दोनों पक्ष को बुलाकर मामले की जानकारी ली जिसमे बाल संरक्षण अधिकारी दोषी पाए गए।
वहीं जिला बाल संरक्षण अधिकारी का कहना है कि, बभनी इलाके से एक महिला द्वारा अपनी बच्ची को वापस लेने का प्रार्थना पत्र दिया गया था, जो जिला बाल कल्याण समिति के पास है और समिति के निर्णय पर ही अभिभावकों को बच्ची को सौंपा जाएगा। अभी बच्ची जिला बाल कल्याण समिति की देखरेख में है। महिला द्वारा पैसा लेने का जो आरोप लगाया जा रहा है वह गलत है।