घोरावल थाना इलाके के मझिगांव मिश्र गांव में विश्वनाथ मिश्रा का परिवार रहता था। विश्वनाथ के दो बेटे राम प्रकाश व सत्य प्रकाश थे। दोनों के बीच किसी बात को लेकर 22 साल पहले कहासुनी हुई। सत्य प्रकाश ने बड़े भाई राम प्रकाश को मौत के घाट उतार दिया। राम प्रकाश की हत्या के बाद जहां उसका परिवार बेसहारा हो गया तो वहीं दो मासूम बेटों के मन में पिता की हत्या का बदला लेने की आग जलने लगी।
जैसे-जैसे राम प्रकाश के दोनों बेटे बड़े हुए वैसे उनके सीने में बदले की आग धधकने लगी। इधर राम प्रकाश के छोटे भाई को अदालत ने 22 साल की सजा सुना दी। वो जेल में सजा काटने लगा। लेकिन उसके भतीजों के मन में बदले की आग अब भी शांत न हुई। 22 साल की सजा पूरी कर सत्य प्रकाश 13 फरवरी को घर लौटा तो उसके भतीजों के दिल में पिता की हत्या का दुख सताने लगा। इधर जेल से आने के बाद चाचा भतीजे के बीच प्रापर्टी बंटवारे को लेकर विवाद औऱ भी गहरा गया। तीन दिन के बाद 17 फरवरी की रात को जब चाचा घर में सो रहा था तो दोनों भतीजे पहुंचे और उसे गला दबाकर मार दिया।
शव को घोरावल थाना इलाके के बरकनहरा बिसही पहाड़ी पर ले जाकर फेंक दिया। शिनाख्त न हो सके इसलिए चेहरे और शरीर को जला डाला। दो दिन के बाद सूचना मिली तो पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर जांच शुरू किया। एक सप्ताह के बाद तक चली जांच में हत्या के आरोपी उसके ही सगे भतीजे निकले। मंगलवार को घोरावल थाने की पुलिस ने दोनों भाईयों सुनील और प्रदीप कुमार मिश्र का गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।