अभी तक हरियाणा के बाहर पंजाब और अन्य राज्यों में अकाली दल राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल होने के साथ-साथ भाजपा का समर्थन करता था लेकिन हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल के साथ गठबंधन होने के कारण भाजपा के विरोध में वोट मांगता था। इस बार अकाली दल हरियाणा में भी भाजपा के साथ खडा है।
हरियाणा के लिए अकाली दल और भाजपा के बीच अलग गठबंधन हुआ है। इसके अनुसार अकाली दल लोकसभा चुनावों में हरियाणा की सभी दस सीटों पर समर्थन देगा लेकिन विधानसभा चुनावों में दोनों दल सीट बटवारा करके लडेंगे। इस तरह समझा जा रहा है कि यदि विधानसभा चुनाव में भाजपा-अकाली दल गठबंधन को बहुमत मिलता है तो अकाली दल को प्रदेश की सत्ता में भागीदारी मिलेगी।
वर्ष 2016 में जब पंजाब में अकाली दल की सरकार थी तब हरियाणा को रावी-ब्यास नदियों के पानी का हिस्सा देने के लिए निर्माणधीन सतलुज-यमुना सम्पर्क नहर के लिए अधिग्रहीत जमीन मुक्त कर किसानों को लौटा दी गई थी। अकाली दल सरकार के इस कदम को हरियाणा विरोधी करार देते हुए इंडियन नेशनल लोकदल ने अकाली दल से गठबन्धन तोडने का ऐलान किया था। इसके बाद अकाली दल ने भी हरियाणा में अपने बूते चुनाव लडने का ऐलान कर दिया था। इंडियन नेशनल लोकदल के साथ गठबंधन में अकाली दल हरियाणा में दो विधानसभा सीटों कालियांवाली और अम्बाला पर चुनाव लडता था। इनमें से उसने सिर्फ कालियांवाली सीट वर्ष 2009 और 2014 में दो बार जीती है।
अब हरियाणा में पहली बार अकाली दल नेता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल एवं उनके पुत्र अकाली दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखवीर बादल लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रचार करने वाले है। दोनों अकाली दल नेता उन लोकसभा क्षेत्रों में सभाओं को संबोधित करेंगे जहां कि सिख मतदाता बडी संख्या में है। दोनों नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ मंच साझा करेंगे। इसके लिए कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है। दोनों नेता पंजाब की सीमा पर स्थित सिरसा लोकसभा क्षेत्र के अलावा जीटी रोड से लगते लोकसभा क्षेत्र अम्बाला, करनाल, कुरूक्षेत्र और सोनीपत में भी चुनाव सभाओं को संबोधित करेंगे। अकाली दल और भाजपा इस तरह अपने गठबंधन का विस्तार कर रहे है। हाल में जब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने गांधीनगर लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल किया था तब प्रकाश सिंह बादल भी वहां मौजूद थे।