भाजपाई नेताओं में बेचैनी और डर
हाईकमान के इसी बड़े मंतव्य के कारण हरियाणा के भाजपाई नेताओं में बेचैनी और डर फैला हुआ है। इसमें हरियाणा में भाजपा के 10 में से 7 सांसद हैं। सात सांसदों में से दोनों केंद्रीय मंत्रियों फरीदाबाद से कृष्ण पाल गुर्जर व गुडग़ांव से राव इंद्रजीत के टिकट फाइनल माने जा रहे हैं। बाकी पांच सांसदों की जगह नए चेहरों को मैदान में उतारा जाएगा। भिवानी महेंद्रगढ़ के सांसद धर्मवीर सिंह आगामी लोकसभा चुनाव लडऩे से पहले ही इनकार कर चुके हैं। इस कारण इस सीट पर नए वजनदार चेहरे की तलाश भाजपा हाईकमान कर रहा है। ब्राह्मण चेहरे की तलाश सोनीपत के सांसद रमेश कौशिक भी आगामी लोकसभा चुनाव लडऩे के इच्छुक नहीं है। इस बारे में वे संकेत भी दे चुके हैं। उनकी जगह भी भाजपा हाईकमान दूसरे ब्राह्मण चेहरे की तलाश कर रहा है।
कुरुक्षेत्र के सांसद राजकुमार सैनी पार्टी से बगावत करने के बाद अपनी नई पार्टी का गठन कर चुके हैं। भाजपा हाईकमान उनकी जगह भी जिताऊ चेहरे को खोज रहा है।दूसरे नेताओं पर निगाह अंबाला के सांसद रतन लाल कटारिया खराब सेहत और बढ़ती उम्र के कारण आगामी चुनाव में पार्टी के टिकट हासिल नहीं कर पाएंगे भाजपा हाईकमान उनके विकल्प दूसरे नेताओं पर निगाह डाल रहा है। करनाल के सांसद अश्विनी चोपड़ा को लेकर भी भाजपा हाईकमान संतुष्ट नहीं है। अश्वनी चोपड़ा को राज्यसभा में भेजकर करनाल सीट पर किसी नए पंजाबी चेहरे के लिए भाजपा हाईकमान गंभीरतापूर्वक सर्वे करवा रहा है।
हिसार और सिरसा की सीटें पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने गठबंधन सहयोगी हजका के लिए छोड़ी थी। आगामी लोकसभा चुनाव में इन दोनों सीटों पर भी दमदार प्रत्याशी तलाश करना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है।रोहतक लोकसभा सीट पर पिछली बार मोदी की आंधी के बावजूद भाजपा को सफलता नहीं मिली थी। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा को शिकस्त देने के लिए भाजपा किसी गैर जाट दमदार नेता को टिकट थमाने का काम कर सकती है।भाजपा लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव की तैयारी भी कर रही है। भाजपा के आंतरिक सर्वे में 2 दर्जन से अधिक विधायकों के खिलाफ जनता में नकारात्मक रुझान पाया गया है इन सभी विधायकों के टिकट काटकर नए चेहरों को चुनाव में उतारने के लिए भाजपा हाईकमान मन बना चुका है। टिकट कटने के डर से अधिकांश भाजपा विधायकों में डर फैला हुआ है। अकेले अहिरवाल की एक दर्जन सीटों में से 8 सीटों पर नए चेहरे उतारने की तैयारी की जा चुकी है। बीजेपी हाईकमान हर हाल में हरियाणा में सत्ता पर काबिज रहना चाहता है। इसलिए जनता की नाराजगी झेल रहे सांसदों और विधायकों के टिकट काटकर नए चेहरों पर दांव लगाना बेहतर रणनीति मानी जा रही है।
जिन भाजपा विधायकों को अपनी टिकट करती नजर आ रही है वह दूसरे दलों में टिकट हासिल करने के अवसरों की तलाश में अभी से लग गए हैं। अगर भाजपा ने दो दर्जन विधायकों के टिकट काटे तो उसमें बड़े विद्रोह की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। चंडीगढ, हरियाणा के राजनैतिक हलकों में यह चर्चा जोरों पर है कि हरियाणा विद्यान सभा के चुनाव भी आगामी मई मास में लोक सभा चुनावों के साथ होने जा रहे हैं। विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि इसी राजनैतिक घटनाक्रम के दृष्टिगत आगामी फरवरी, 2019 में हरियाणा के मुख्यमंत्री के कार्यालय में भी बड़े पैमाने पर फेरबदल होने की सम्भावनायें जताई जा रही हैं, ताकि लोकसभा चुनावो के साथ ही हरियाणा विधान सभा चुनावो में भी सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा अच्छा प्रदर्शन कर सके।
हरियाणा में हाल ही में संपन्न हुए नगर निगम निकाय चुनावो में भाजपा के सभी पांचों मेयर चुने जाने से हरियाणा भाजपा में एक नए उत्साह और ऊर्जा का संचार हुआ है। इसके चलते प्रदेश में भाजपा के शीर्ष नेता आगामी लोकसभा चुनावो में बेहतर रणनीति बनाने में जुट गए हैं। अब देखने की बात है कि आगामी लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनावो में किसका ऊँट किस करवट बैठता है। इसके साथ ही हरियाणा में राजनैतिक हलचल तेजी से बढ रही है।