मनोहर लाल ने कहा कि सरकार ने अब राज्य में मक्का व अरहर को धान का विकल्प बनाने का फैसला किया है। धान में पानी की खपत भी अधिक होती है और इससे भूमि की उपजाऊ क्षमता भी घट रही है। पराली के रूप में एक और संकट भी चुनौती बना हुआ है। पराली जलाने की वजह से प्रदूषित हो रहे वातावरण से आमजीवन पर भी खतरा बढ़ा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के करनाल, कैथल, यमुनानगर, सोनीपत, जींद, कैथल व अंबाला जिला में भूमिगत जल की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। दक्षिण हरियाणा के कई जिले पहले से डार्क जोन में हैं। इन सातों जिलों के एक-एक ब्लाक यानी सात ब्लाक को पहले चरण में धानमुक्त करने का लक्ष्य सरकार ने रखा है।
करनाल के नीलोखेड़ी, कैथल के पूंडरी, अंबाला के अंबाला-1, जींद के नरवाना, कुरुक्षेत्र के थानेसर-1 व यमुनानगर के रादौर और सोनीपत जिले के गन्नौर ब्लॉक में 50 हजार हैक्टेयर यानी करीब सवा एक लाख एकड़ भूमि पर मक्का और अरहर की पैदावार होगी। इस योजना पर काम तो पिछले डेढ़ माह से चल रहा था लेकिन आचार संहिता के चलते इसकी घोषणा नहीं हो सकी। अब भी सीएम ने चुनाव आयोग की मंजूरी के बाद योजना को लांच किया है। एक सवाल के जवाब में सीएम ने कहा यह सातों ब्लाक ऐसे हैं, जहां सामान्य धान की ही खेती होती है। एक किग्रा चावल उत्पादन पर करीब 3500 लीटर पानी इस्तेमाल होता है। मक्का उगाने से किसानों को जहां फसल से आमदनी होगी, वहीं इससे हरा व सूखा चारा भी उपलब्ध होगा। यह फसल 95 से 100 दिन की है। ऐसे में 10 अक्टूबर तक फसल कट जाएगी और किसान गेहूं की अगेती बिजाई कर 10 फीसदी तक अधिक उत्पादन ले सकेंगे।
क्या है हरियाणा सरकार की योजना
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि धान को छोडक़र मक्का और अरहर की पैदावार करने वाले इन सातों ब्लाकों के किसानों को 2000 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से इनपुट मिलेगा। इसी तरह से 1500-1800 की कीमत का मक्का और अरहर का बीज किसानों को मुफ्त मिलेगा। पीएम फसल बीमा योजना के तहत इन किसानों के बीमे का पूरा प्रीमियम सरकार वहन करेगी। इस तरह से किसानों को 4500 से 500 रुपये तक सीधा फायदा होगा। सीएम ने कहा, यह योजना तैयार करते समय मक्का और अरहर की खरीद भी सुनिश्चित की गई है। मार्केट में अगर एमएसपी से कम इन फसलों का भाव रहता है, तो इस कमी को सरकार पूरा करेगी। किसी भी सूरत में किसानों को एमएसपी से कम मक्का और अरहर नहीं बेचना पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि यह योजना 27 मई से लागू होगी। इसी दिन से विभाग की वेबसाइट पर पोर्टल ओपन होगा। इस बदलाव में शामिल होने वाले किसानों को रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। वे यह बताएंगे कि अब तक कितने एकड़ में धान की पैदावार करते थे और अब कितने में मक्का व अरहर पैदा करेंगे। ऐसा करने वाले किसानों के खाते में 200 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से रजिस्ट्रेशन करवाते ही डल जाएंगे। वेरिफिकेशन के बाद बाकी के 1800 रुपये भी किसानों के बैंक खातों में सीधे जमा होंगे।
जमीन से निकल चुका 74 फीसदी पानी
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एक सर्वे के आधार पर बताया कि 25-30 साल पहले जमीन के लिए 9504 मिलियन क्यूबिक पानी था। इसमें से अभी तक 7081 मिलियन क्यूबिक यानी करीब 74 फीसदी पानी की निकासी हो चुकी है। यानी जमीन के नीचे भी अब पानी खत्म हो रहा है। उन्होंने कहा, वाटर रि-चार्जिंग के लिए ही तालाब प्राधिकरण का गठन किया गया है। अभी तक करीब 4000 तालाबों के सुधार पर काम शुरू हो चुका है।