हरियाणा के परिवहन विभाग ने पिछले साल रोडवेज के बेडे में बसें बढाने का फैसला किया था। इसके लिए प्रति किलोमीटर किराया प्रणाली से करीब पांच सौ निजी बसें पहले चरण में किराए पर लेने का फैसला किया था। योजना के तहत प्रति किलोमीटर दर पर टेण्डर आमंत्रित किए गए थे। हरियाणा रोडवेज कर्मचारियों की यूनियनों ने निजी बसें किराए पर लेने के बजाय रोडवेज बेडे के लिए बसें खरीदने पर जोर दिया था। लेकिन सरकार यूनियनों की मांग मंजूर करने को तैयार नहीं थी। यूनियनों ने इसके विरोध में चक्काजाम किए तो सरकार ने बल प्रयोग किया और यूनियन नेताओं को गिरफ्तार भी करवाया। यूनियन नेताओं ने अपनी मांग पर आंदोलन जारी रखा। नेताओं का आरोप था कि प्रति किलोमीटर दर से बसों का संचालन बडा घोटाला है। इसमें चहेती बस कम्पनियों को अधिक दरों पर बस संचालन दिया गया है। राजस्थान और पंजाब में कम दरों पर बसें किराए पर ली गई है। यूनियन नेताओं की ये दलीलें राज्य सरकार ने नहीं मानी थीं लेकिन बाद में दरों का अंतर पाए जाने पर इस मामले में विजिलेंस जांच के आदेश दिए गए है।
इस सारे मामले के बाद राज्य सरकार ने रोडवेज के लिए नई बसें खरीदने का फैसला किया है। परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार ने मंगलवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में हालांकि इस बात का खुलासा नहीं किया कि सरकार अब कितनी बसें खरीदने जा रही है लेकिन उन्होंने कहा कि नई बसें खरीदी जायेंगी। रोडवेज की करीब 800 से 900 बसें कण्डम हो गई है। इनकी जगह नई बसों की खरीद की जायेगी। इसके साथ ही यह फसल किया गया है कि वर्ष 2016 में अस्थायी तौर पर भर्ती किए गए करीब तीन सौ चालकों की सेवाएं समाप्त नहीं की जायेंगी। हालांकि इन चालकों को इस शर्त के साथ नियुक्त किया गया था कि नियमित भर्ती किए जाने पर उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जायेगी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने रोडवेज में पिछले करीब 15 साल में भर्ती किए गए आठ हजार से अधिक कर्मचारियों की सेवाएं नियमित की है।