कमीशन की कार्रवाई पर रोक के लिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के राजनीतिक सचिव रहे प्रो वीरेन्द्र ने हाईकोर्ट में याचिका पेश की थी। प्रो वीरेन्द्र ने कमीशन की कार्यवाही को इस आधार पर चुनौती दी थी कि कमीशन ने उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया। हाईकोर्ट ने इस मामले में नोटिस जारी कर राज्य सरकार और कमीशन से जवाब मांगा है। प्रो वीरेन्द्र पर जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा भडकाने का आरोप है। इस सिलसिले में एक आॅडियों भी वायरल हुआ था। इसके आधार पर प्रो वीरेन्द्र को हिंसा की साजिश के पहलू से जोडा गया था।
हरियाणा सरकार ने अप्रेल 2016 में हिंसा के पीछे की साजिश की जांच के लिए राजस्थान हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एसएन झा की अध्यक्षता में दो सदस्यों का कमीशन गठित किया था। कमीशन में दूसरे सदस्य के रूप में इन्टेलीजेंस ब्यूरो के पूर्व अधिकारी एनसी पांधी को शामिल किया गया था। कमीशन को वर्ष 2016 में फरवरी 18 से 23 तक हरियाणा के सात जिलों में हुई हिंसा के पीछे की साजिश की जांच करने का जिम्मा सौंपा गया था। ये जिले रोहतक, झज्जर,सोनीपत,जींद,हिसार,कैथल और भिवानी जिले है।
राज्य सरकार ने जाट कोटा आंदोलन के दौरान हिंसा से निपटने में पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की लापरवाही की जांच के लिए पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह की अध्यक्षता में भी एक कमेटी का गठन किया था। झा कमीशन का गठन इसके अलावा किया गया था। प्रकाश सिंह कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि हिंसा के दौरान नियंत्रण के लिए राज्य सरकार के उच्च स्तर से कोई निर्देश नहीं दिए गए थे।